शिमला: पुलिस मुख्यालय में आयोजित सड़क सुरक्षा समीक्षा बैठक में यह बात सामने आई है की प्रदेश में चलाए गए सड़क सुरक्षा अभियान से 5 साल में सड़क हादसों और मृत्यु दर में कमी दर्ज की गई है। हादसों के बाद चोटिल होने वाले लोगों की संख्या भी कम हुई है। वर्ष 2017 से 2022 तक सड़क दुर्घटनाएं (आरटीए) 3114 से घटकर 2597, मृत्यु दर 1203 से घटकर 1032 और चोटें 5452 से घटकर 4133 हो गई हैं। वहीं, बीते वर्ष की समान अवधि की तुलना में 1 जनवरी से 13 अक्तूबर 2023 तक सड़क दुर्घटनाओं (आरटीए) में 11 फीसदी, मृत्यु दर में 17 फीसदी और चोटिल होने वाले की संख्या में 13 फीसदी की कमी आई है।
बैठक में विश्व बैंक की पांच सदस्यीय टीम और पुलिस मुख्यालय के अधिकारी सहित परिवहन अनुसंधान प्रयोगशाला लंदन (एचपीआरआईडीसीएल) के प्रतिनिधि उपस्थित रहे। पुलिस विभाग की ओर से दी गई प्रस्तुति में न्यूयॉर्क पुलिस विभाग के मॉडल को अध्ययन करके तैयार किया गया है। इसमें जनसंख्या और वाहन संख्या दोनों के मामले में हिमाचल की सड़कें राष्ट्रीय सुरक्षा औसत से खराब हैं। पांच साल के आंकड़ों पर गौर करें तो देश में प्रति एक लाख जनसंख्या पर 29.30 फीसदी रोड ट्रैफिक एक्सीडेंट (आरटीए) हैं, जबकि हिमाचल में यह दर 31.54 थी।
इसी तरह सड़क हादसों में मृत्यु दर राष्ट्रीय औसत के 10.93 के मुकाबले हिमाचल में 13.77 फीसदी थी। वहीं दस हजार वाहनों के सड़क हादसों में मृत्यु दर भी हिमाचल में 6.93 फीसदी थी जोकि राष्ट्रीय औसत 5.08 फीसदी से ज्यादा है। चिंता की बात यह है कि 100 सड़क हादसों में भारत में 37 लोगों की मौत होती है, जबकि हिमाचल में 44 की होती है। पता चला कि 23 फीसदी मौतें आमने-सामने की टक्कर से हुई हैं जबकि 22 फीसदी पैदल चलने वाले यात्रियों और 21 फीसदी मौतें सड़क पर भागने से कारण हुई हैं।
डीजीपी हिमाचल पुलिस संजय कुंडू ने बताया कि सड़क हादसों में कमी लाने का प्रयास किया जा रहा है। साल 2030 तक आरटीए और मौतों में 50 फीसदी की कमी लाने के लिए भी प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने कहा कि विश्व बैंक को अवगत कराया गया कि दुर्घटनाओं को कम करने के लिए पैदल यात्री बुनियादी ढांचे और दुर्घटना बाधाओं का प्रावधान करने के लिए दुर्घटना संभावित हिस्सों का विवरण एचपीपीडब्ल्यूडी अधिकारियों के साथ साझा किया गया है।