अखण्ड भारत (गुजरात डेस्क) :- पोरबंदर बंदरगाह में मछली पकड़ने का सीजन शुरू हो गया है। डीजल के बढ़ते कीमतों ने मछुआरों की हालत खराब कर दी है, बढ़ती कीमतों के कारण इस वर्ष 500 बोट समुद्र में मछली पकड़ने नहीं जांएगी। महंगाई बढ़ने से पिछले वर्ष की तुलना में इस साल 1 लाख रुपए का खर्च बढ़ गया है। बोट की एक ट्रिप 4.50 लाख रुपए में पड़ेगी। मछुआरे समझ नहीं आ रहा कि वह कितनी मछली पकड़ पाएंगे,और मछली के क्या भाव मिलेंगे।
डीजल का भाव 75 रुपए से बढ़कर 94 हो गया है। मछुआरों को एक ट्रिप में 3 से 4 हजार लीटर डीजल की जरूरत होती है। राशन, बर्ट, खलासी की तनख्वाह और अन्य खर्च सहित लगभग 4.50 लाख रुपए खर्च होते हैं। मंहगाई के कारण इस साल 30 से 40 प्रतिशत यानी 500 बोट समुद्र में मछली पकड़ने नहीं जाएंगी।
1 सितंबर से मछली पकड़ने का सीजन शुरू हो जाता है। कुछ मछुआरे खतरों को झेलते हुए समुद्र में मछली पकड़ने रवाना हो गए हैं। इस साल 600 नावें समुद्र में रवाना हुई हैं। डीजल की कीमतें बढ़ने से इस साल बोट की एक ट्रिक 4.50 लाख रुपए में पड़ेगी। पिछले साल की तुलना में एक लाख रुपए अधिक खर्च होंगे। पिछले साल एक ट्रिप में 8 हजार रुपए राशन पर खर्च होते थे जबकि इस वर्ष 12 से 13 हजार रुपए खर्च होंगे। मछुआरे पिछले दो सालों से लॉकडाउन, खलासियों के गांव जाने और मंहगाई का संकट झेल रहे हैं।