डेस्क: किसी की हत्या हो अथवा बलात्कार, या फिर अपहरण। केस दर्ज होते ही जांच अधिकारी न सिर्फ मौके से सबूतों को एकत्र करते हैं, बल्कि आरोपियों या संदिग्धों के पास मौजूद इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को भी जब्त कर लेते हैं। ये उपकरण आपराधिक घटना के बाद आरोपियों को कोर्ट में दोषी ठहराने में अहम भूमिका निभाते हैं। चूंकि, कोर्ट किसी भी जांच अधिकारी को तकनीकी रूप से दक्ष नहीं मानती है। इसीलिए उन्हें मान्यता प्राप्त लैब से इन इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की जांच कर उसकी रिपोर्ट जमा करनी होती है। इसीलिए यहां क्राइम होने के बाद मोबाइल, लैपटॉप और कंप्यूटर आदि जब्त कर उसे जांच के लिए कालीना और ठाणे स्थित फॉरेंसिक लैब भेजा जाता है। महाराष्ट्र में करीब आधा दर्जन फॉरेंसिक लैब हैं, जहां घटनास्थल से मिले सबूतों की जांच कराई जाती हैं। इनमें कालीना लैब सबसे ज्यादा आधुनिक है। इसके प्रमुख वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी होते हैं, जो इस समय संजय वर्मा हैं।
डिवाइसेस जांचने के 4 स्टेप्स
मोबाइल, कंप्यूटर आदि इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेस की फॉरेंसिक जांच प्रक्रिया में उपकरणों से संबंधित डाटा और उसके इस्तेमाल से जुड़ी जानकारी खंगाली जाती है। यह प्रक्रिया 4 चरणों में होती है।
1. कलेक्शन और प्रिजर्वेशन: इस प्रक्रिया के तहत उपकरणों में मौजूद डाटा को कलेक्ट (संग्रहित), प्रिजर्व (संरक्षित) और प्रॉटेक्ट (सुरक्षित) करने के साथ-साथ उसके असली और नकली होने की जांच की जाती है।
2. डेटा एक्स्ट्रैक्शन: इसमें इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों से मिले डाटा को एक्स्ट्रैक्ट (खंगालने की प्रक्रिया) करते हैं। इनमें विभिन्न प्रकार के मेसेज, कॉल रिकॉर्ड्स, फाइल, इमेज, विडियो आदि होते हैं।
3. डाटा अनैलिसिस: एक्सट्रैक्ट किए गए डाटा का विश्लेषण किया जाता है, ताकि उसके जरिए किसी खास गतिविधि अथवा पैटर्न्स की पहचान की जा सके।
4. मेटा डाटा जांच: डाटा के साथ-साथ मेटा डाटा (जैसे घटना का समय और स्थान आदि) की जांच कर वारदात का समय और संदर्भ को स्थापित किया जा सके।
फॉरेंसिक जांच पर एक्सपर्ट्स व्यू
एस सी घुमतकर, फॉरेंसिक लैब अधिकारी: इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेस की फॉरेंसिक जांच में आरोपियों द्वारा इस्तेमाल किए गए मोबाइल, कंप्यूटर, लैपटॉप आदि के जरिए उसके पिछले सभी डिटेल्स निकाले जाते हैं। उन्हें तकनीकी सबूत के तौर पर एकत्र कर जांच अधिकारियों को सौंप दिया जाता है। केस की छानबीन करने में यह बेहद मददगार साबित होते हैं। इन्हें जांचने के लिए अलग-अलग चरण होते हैं, जो केस की जरूरत के हिसाब से तय किए जाते हैं। हार्डवेयर, सॉफ्टवेयर, कॉल डाटा रिकॉर्ड्स, विसरा, फूड पॉइजनिंग, साइबर आदि इसके तमाम प्रकार हैं।
शैलेंद्र धीवार, एसीपी (मालवणी डिविजन): क्रिमिनल का आरोप सिद्ध करने के लिए मोबाइल फोन आदि इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की तकनीकी जांच कराते हैं। जांच अधिकारी घटनास्थल से मिले फोन, लैपटॉप आदि डिवाइसेस जब्त कर उन्हें फॉरेंसिक लैब भेजते हैं। चूंकि, कोर्ट को तकनीकी अनुभव वालों का पक्ष चाहिए होता है। इसीलिए पुलिस की बजाय तकनीकी प्रक्रिया के जानकारों द्वारा कराई गई जांच रिपोर्ट को बतौर सबूत पेश किया जाता है। क्राइम से जुड़े इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को कालीना आदि फॉरेंसिक लैब में भेजा जाता है
ऐडवोकेट शंभू झा (क्रिमिनल मामलों के एक्सपर्ट), बॉम्बे हाई कोर्ट: किसी केस को सिद्ध करने के लिए मौके पर मिले सबूतों के अलावा आरोपी अथवा पीड़ित द्वारा इस्तेमाल इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की जांच अनिवार्य है। आजकल कई मामले इन्हीं उपकरणों के चलते सॉल्व हुए हैं। चूंकि, कोर्ट भी पुलिस को तकनीकी रूप से दक्ष यानी एक्सपर्ट नहीं मानती, इसलिए आरोप की पुष्टि के लिए आरोपी अथवा पीड़ित के इलेक्ट्रानिक डिवाइसेस की जांच कराकर एक्सपर्ट की रिपोर्ट पुलिस द्वारा कोर्ट में पेश की जाती है। इसीलिए इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की जांच वैज्ञानिक तरीके से कराने के लिए लैब में भेजी जाती हैं।
डिवाइसेस की अहम भूमिका वाले प्रमुख केस
प्रत्युषा बनर्जी खुदकुशी:
1 अप्रैल, 2016 को ओशिवरा में कथित तौर पर खुदकुशी करने वाली बालिका वधू फेम अभिनेत्री प्रत्युषा बनर्जी मामले में गिरफ्तार आरोपी राहुल राज सिंह के घर से पुलिस ने इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को जब्त किया था। ये सभी सामान लैब भेजकर जांच कराए गए, जिसका रिपोर्ट कोर्ट में जमा किया गया।
सिद्धार्थ शुक्ला संदिग्ध मौत:
बिग बॉस 13 के विजेता और टीवी इंडस्ट्री के मशहूर ऐक्टर सिद्धार्थ शुक्ला का 2 सितंबर, 2022 को कथित तौर पर हार्ट अटैक से निधन हो गया था। पुलिस ने शुक्ला के घर से मिले सभी इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को जब्त कर उसे फॉरेंसिक लैब में जांच के लिए भेजा। लैब से मिले रिपोर्ट को कोर्ट में जमा कर दिया गया। हालांकि, इस मामले में किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है।
सुशांत सिंह राजपूत की मौत:
14 जून, 2020 को अपने घर में संदिग्ध हालात में मिले मशहूर ऐक्टर सुशांत सिंह राजपूत की मौत की गुत्थी अब भी अनसुलझी पहेली है। जांच अधिकारियों ने राजपूत के घर से मिले सभी इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को फॉरेंसिक जांच के लिए कालीना समेत अन्य लैबों में भेजा था, जिसकी रिपोर्ट कोर्ट में जमा है।