डेस्क: संरक्षित स्मारकों की सुरक्षा और सौंदर्यीकरण को लेकर अब ग्रामीण भी सचेत हो रहे हैं। झारखंड के गुमला जिले में ऐतिहासिक नवरत्नगढ़ किला परिसर में अब ग्रामीणों ने पौधरोपण शुरू किया है। केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय के भारतीय पुरातत्व रांची मंडल की ओर से इसे लेकर विशेष अभियान की शुरुआत की गई। ग्रामीण नवरत्नगढ़ के आसपास अपने नाम से और अपने पूर्वजों की याद में पौधरोपण कर रहे हैं। पौधरोपण के साथ ही आसपास के ग्रामीण अगले कुछ महीनों तक उसकी देखरेख भी करेंगे। ताकि केंद्रीय संरक्षित स्मारक के आसपास हरियाली नजर आ सके।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण रांची मंडल के अधीक्षण पुरातत्वविद डॉ. राजेंद्र देहरी ने बताया कि कई उद्देश्यों के साथ इस कार्यक्रम की शुरुआत की गई है। उन्होंने बताया कि इसका मुख्य उद्देश्य से राष्ट्रीय स्मारकों के प्रति सम्मान और सुरक्षा की भावना जागृत करना है। इसके अलावा पर्यावरण के प्रति लोगों को जागरूक करना है।
अधीक्षण पुरातत्वविद डॉ. राजेंद्र देहरी ने कहा कि राष्ट्रीय स्तर के इस स्मारक को संरक्षित करने के लिए हरेक ज़रूरी कदम उठाये जा रहे हैं। साथ ही इस विरासत को सभी मिलकर विकसित बनाने में तत्पर रहेंगे। उन्होंने बताया कि स्मारक परिसर और चारों ओर कई फलदार पौधे लगाए गए हैं, जिससे आने वाले समय में पर्यटक और विरासत प्रेमियों के स्मारक पहुंचने पर उन्हें सुखद अनुभूति होगी।
सहायक अधीक्षक पुरातत्वविद नीरज मिश्रा ने बताया कि स्मारक परिसर में पौधे लगाने वाले लोगों को संरक्षित परिसर और अपने विरासत से लगाव भी महसूस होगा। इस तरह के प्रयास से स्मारकों और पर्यावरण के प्रति लोगों का लगाव हमेशा बना रहेगा।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण रांची मंडल की ओर से इसे लेकर 13 से 15 अगस्त तक विशेष अभियान भी चलाया गया। इस दौरान में आस पास के लोग आने वाले पर्यटकों तथा स्कूलों के बच्चों में काफ़ी उत्साह रहा तथा सबने मिलकर परिसर के पिछले हिस्से में 300 से अधिक पौधे लगाए। इस अभियान में पंचायत के मुखिया रवि उरांव और वन विभाग के पदाधिकारियों-कर्मचारियों का भी सहयोग मिला।
नवरत्नगढ़ किला नागवंशी राजाओं के ऐतिहासिक विरासत की पहचान और समृद्ध संस्कृति को दर्शाता है। नवरत्नगढ़ किला कभी नागवंशी राजाओं का राजमहल हुआ करता था। यहीं से छोटानागपुर इलाके में लंबे समय तक नागवंशी राजाओं ने शासन-प्रशासन चलाने का काम किया।