विभागिय अधिकारी की मिलीभगत पाई गई तो की जायेगी कार्यवाही: सरिता द्विवेदी
एनएचएआई मंत्रालय, उपर यमुना बोर्ड, प्रदेश वन विभाग मंत्रालय, केंद्र व प्रदेश सरकार, क्षेत्रीय नेता व सम्बन्धित अधिकारी सवालों के घेरे में
एनएच 707 निर्माण कर रही कंपनी लगभग दो माह से दिन-रात नदी में फैंक रही है मलबा
कँवर ठाकुर (शिलाई):- राष्ट्रीय राजमार्ग 707 के मलबे की भेंट चढ़ चुकी तमसा नदी में इन दिनों भारी मलबे व मिट्टी के ढेर लगे हुए हैं, नदी में सड़क निर्माता धत्रवाल कंस्ट्रक्शन कम्पनी द्वारा करोड़ो मीट्रिक टन मलबा फेंका गया है तथा मलबा फेकने का यह क्रम दिनरात जारी है, मानसून जोरों पर होने से मलबा जहां नदी पर बने विद्युत प्रॉजेक्ट के लिए खतरे की संभावनाएं प्रबल कर रहा है वही नदी के साथ लगते क्षेत्र व निवासियों के लिए तबाई का मंजर बरपाएगा।
जानकारी के मुताबिक राष्ट्रीय राजमार्ग 707 पर जामली से लेकर जलऊ महाराज मंदिर के बीच जगह-जगह कंपनी मलबे को तमसा नदी में डम्प कर रही है, मलबा फेकने के लिए वन विभाग की भूमि को माध्यम बनाया गया गया है, विभाग ने धत्रवाल कंस्ट्रक्शन कंपनी को 60 मीटर का स्पेस मलबा फेकने के लिए स्वीकृत किया हुआ है, जिसकी आड़ में सीधा मलबे को 300 मीटर आगे तक नदी में डाला जा रहा है, जलऊ महाराज मंदिर के समीप कंपनी द्वारा मलबा फेकने पर वन विभाग ने 50 हजार रुपये जुर्माने की बात कही है लेकिन जुर्माना होने के बाद मानो कम्पनी को मलबा फेंकने का रजिस्टर लाइसेंस मिल गया हो, यहां बेख़ौफ होकर मलबा नदी में डाला जा रहा है।
मलबा डालने से वन संपदा को भारी नुकसान हुआ है सैकड़ों औषधीय वन संपदा नष्ट हो गई है इतना ही नही, बल्कि नंदी में हजारों जलचर प्राणी प्रभावित हो रहे है, साथ ही दून क्षेत्रों में बाढ़ आने की संभावनाएं बढ़ गई है।
क्षेत्रीय लोगो की माने तो वन विभाग के श्रेष्ठ अधिकारियों की मिलीभगत होने से चन्द रुपयों के भर्ष्टाचार में कम्पनी को करोड़ो का फायदा पहुँचाया गया है, राष्ट्रीय राजमार्ग 707 पर धारवा से लेकर मिनस तक निकल रहे मलबे को नंदी में डाला जा रहा है, जंगल में घास-पत्ती भारी मात्रा में बर्बाद हुई है, दर्जनों किस्म के औषधीय पौधे मलबे की चपेट में आकर नंदी में समां गए है।
कंपनी के कर्मचारी दिनरात मलबा नदी में डाल रहे है, पिछले दो महीने से लगातार यह सिलसिला चल रहा है, कंपनी द्वारा मलबे का स्थिरीकरण नही किया गया है, जिसके कारण करोड़ो मीट्रिक टन मलबा नदी के जल में समां गया है, वन विभाग के अधिकारियों का आशीर्वाद होने के चलते धत्रवाल कंस्ट्रक्शन कंपनी ने तमसा नदी को डम्पिंगयार्ड बनाया हुआ है।
यदि कम्पनी के कर्मचारियों व अधिकारियों से बात करते है तो कहा जाता है कि वन विभाग ने उन्हें मलबा फेकने की परमिशन दी हुई है, इसलिए जो करना है क्षेत्रीय लोग वह करें, विभागीय शिकायत करेंगे तो 10 से 20 हजार डीआर कटवा देंगे, यदि कंपनी का कार्य प्रभावित किया तो क्षेत्रीय लोगो पर पुलिस में मामले दर्ज किए जाएंगे।
आश्चर्यजनक बात यह है कि खुलेआम नंदी में सड़क का मलबा फेंका जा रहा है, करोड़ो मीट्रिक टन मलबा फेंका जा चुका है, लेकिन एनएचएआई मंत्रालय, उपर यमुना बोर्ड, प्रदेश वन विभाग मंत्रालय, केंद्र व प्रदेश सरकार, क्षेत्रीय नेता व सम्बन्धित अधिकारी, कर्मचारी कुम्भकर्णी नींद नजर आ रहे है, इन्होंने कार्यवाही तो करनी ही नही है लेकिन मौका के हालात देखने भी नही पहुँच रहे है, हालांकि मीडिया ने बड़े स्तर पर मामला उठाया है, बावजूद उसके भर्ष्टाचार में लिप्त सिस्टम को वर्तमान व भविष्य में होने वाली तबाई का मंजर दिखाई नही दे रहा है।
जिला सिरमौर वन संरक्षक(सीएफ) सरिता द्विवेदी ने मामले पर बताया कि उन्हें राष्ट्रीय राजमार्ग 707 पर जामली व मिनस के समीप धत्रवाल कंस्ट्रक्शन कंपनी द्वारा वैतरतीव मलबा फेंकने की सूचना मिली है, जिसपर विभाग सख्त कार्यवाही अम्ल में ला रहा है, यदि विभागिय अधिकारी की मिलीभगत पाई गई तो बख्शा नही जाएगा ।