डेस्क: भारतीय रिफाइनरीज ने रूस से तेल आयात के लिए चीनी मुद्रा युआन में पेमेंट करना शुरू कर दिया है। रिपोर्ट में कहा गया था कि यूक्रेन युद्ध के कारण रूस पर लगे पश्चिम प्रतिबंधों ने डॉलर में पेमेंट को मुश्किल कर दिया और भारत। डॉलर का विकल्प खोजने के लिए मजबूर हो गया। ऐसा कहा जा रहा है कि भारत सिर्फ 10 फीसदी पेमेंट ही युआन में कर रहा है और बाकी के लिए वह रुपए और दिरहम का ही प्रयोग कर रहा है। न्यूज वेबसाइट द प्रिंट की तरफ से इस बात की जानकारी दी गई है। भारत और रूस के बीच पिछले काफी समय से पेमेंट का मसला अटका हुआ था लेकिन अब लगता है कि यह मसला सुलझ गया है।
अमेरिकी प्रतिबंध और यूरोप की तरफ से तेल की तय कीमतों की वजह से तेल आयात में तेजी आई। भारत ने रूस से अपनी कच्चे तेल की जरूरतों को पूरा करने के लिए आयात के तरीके में दो बड़े बदलाव किए। पहला बदलाव रूस से भारत के तेल आयात में तेज वृद्धि थी जिसमें भारत ने रूस की तरफ से मिली छूट का फायदा उठाया था। दूसरा बदलाव था कि इस आयात के लिए भुगतान के मामले में भारत को वैकल्पिक मुद्राओं पर निर्भर रहना होगा। प्रतिबंधों के बाद रूस अमेरिकी डॉलर में व्यापार नहीं कर सकता है। जबकि जंग से पहले इसी मुद्रा में भुगतान किया जाता था।
भारत ने दिरहम का प्रयोग करके रूसी तेल के लिए भुगतान करना शुरू कर दिया है। लेकिन विशेषज्ञों का मानना था कि यह विकल्प लंबा नहीं टिक सकता है क्योंकि रूस अपने प्रयोग से ज्यादा दिरहम जमा नहीं करना चाहेगा। यही वजह थी कि रूस को रुपए में भुगतान भी नहीं हो पा रहा था। अप्रैल में रूसी उप प्रधानमंत्री और उद्योग मंत्री डेनिस वैलेंटाइनोविच मंटुरोव के हवाले से खबर आई थी कि भारत की तरफ से आयात की कमी के कारण रुपए का उपयोग नहीं हो पा रहा है।
साल 2023 कैलेंडर वर्ष के पहले तीन महीनों में रूस की तरफ से चीन को होने वाले निर्यात में करीब 70 प्रतिशत का इजाफा हुआ है और यह 33.7 अरब डॉलर पर पहुंच गया है। जबकि इसकी तुलना में साल 2022-23 वित्तीय वर्ष में भारत और रूस के बीच कुल व्यापार यानी आयात और निर्यात दोनों 39.8 बिलियन डॉलर था। इससे पता चलता है कि रूस कितनी आसानी से रुपए के विपरीत युआन को भुगतान के रूप में स्वीकार कर सकता है। रूस के पास रुपए की तुलना में युआन खर्च करने के अधिक विकल्प हैं। हाल ही में विशेषज्ञों ने कहा था कि भारत और चीन के बीच तनाव को देखते हुए रूस, भारत पर युआन में भुगतान करने के लिए दबाव नहीं डालेगा।
पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय (एमओपीएनजी) के एक सीनियर अधिकारी ने मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए नाम न छापने की शर्त पर वेबसाइट से पुष्टि की है कि रूस को युआन में भुगतान हो रहा है। अधिकारी ने बताया की भुगतान रुपए और दिरहम में हो रहा था। लेकिन इस प्रक्रिया में समय लग रहा है और रूसी संस्थाओं को भुगतान में देरी हो रही है। अधिकारी के मुताबिक रूसी तेल के लिए जितना भुगतान किया जाता है, उसका सिर्फ 10 फीसदी ही युआन में पेमेंट हो रहा है। हालांकि अभी तक विदेश मंत्रालय की तरफ से इस पूरे मामले पर कोई टिप्पणी नहीं की गई है।