तालिबान में न जीते न हारे हैं, हमने लड़ाई के दौरान ओसामा बिन लादेन को पकड़ा, पिछले 20 साल में तालिबान आज सबसे मजबूत स्थिति में है।
अमेरिकी सैनिकों की वापसी के ऐलान के बाद से ही तालिबान ने हमले तेज कर दिए हैं। इस बीच दुनियाभर में यह चर्चा आम हो गई है कि क्या अमेरिकी सेना अफगानिस्तान में तालिबान से हार गई। दरअसल, अमेरिका ने आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई के नाम पर अफगानिस्तान से तालिबान को खत्म करने के लिए लगभग 20 साल तक जंग लड़ी। इस दौरान सैनिकों की मौजूदगी और ऑपरेशन पर अमेरिका को 2 ट्रिलियन डॉलर (14,93,08,00,00,00,000 रुपये) खर्च करने पड़े। इतना ही नहीं, तालिबान के साथ जंग में 2300 अमेरिकी सैनिक भी शहीद हुए।
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा है कि अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना का बाहर निकलना वियतनाम शैली की पराजय नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका अफगानिस्तान में अपनी जीत की घोषणा भी नहीं करने वाला है। बाइडन ने बुधवार को ऐलान किया कि अमेरिकी सेना 11 सितंबर नहीं, बल्कि 31 अगस्त को ही अफगानिस्तान में अपने सैन्य अभियान को बंद कर देगी। उन्होंने यह भी माना अमेरिका को इस 20 साल तक चली जंग में ऐसी सफलता नहीं मिली जिसको लेकर जश्न मनाया जा सके।
बातचीत के दौरान बाइडन से सवाल पूछा गया कि अमेरिकी शक्ति के गर्व के केंद्र बगराम एयर बेस से रात के समय चुपचाप सैनिकों का प्रस्थान क्या अपमानजनक हार का प्रतीक है? इसके जवाब में बाइडन ने कहा कि बिल्कुल नहीं। 1975 में वियतनाम युद्ध के अंत में साइगॉन से भी अमेरिकी फौज ऐसे ही निकली थी। जिसपर बाइडन ने कहा कि इन दोनों प्रस्थान के बीच कोई समानता नहीं है।
जब अफगानिस्तान में अमेरिकी दूतावास की छतों को भीड़ को तोड़ती हुई दिखाई देगी। यह बिलकुल भी तुलना के लायक नहीं है। इसके बावजूद बाइडन ने यह कहा कि वे अफगानिस्तान में मिशन पूरा होने का दावा नहीं कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान में हमारा कुछ मिशन जरूर पूरा हुआ है। हमें ओसामा बिन लादेन मिला लेकिन हम आतंकवाद को दुनिया के उस हिस्से से खत्म नहीं कर पाए।