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अदालतों में अब वीडियो कॉन्फ्रेंस से होगी मुजरिमों की पेशी, हाईकोर्ट ने दिए आदेश

By Sandhya Kashyap

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शिमला: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने प्रदेश में जेलों की दुर्दशा के मामले में निचली अदालतों को आदेश दिए हैं कि विचाराधीन कैदियों की पेशी वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये की जाए। अदालत ने प्रदेश की निचली सभी अदालतों को आदेश दिए हैं कि वे मुजरिमों की निजी तौर पर हाजिरी दर्ज करवाने के लिए बाध्य आदेश पारित न करें। इसके अलावा अदालत ने नालागढ़ के किशनपुरा जेल में 15 जून तक पानी और सीवरेज का काम पूरा करने के आदेश दिए हैं। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश विरेंदर सिंह की खंडपीठ ने अपने आदेशों की अनुपालना 16 जून तक तलब की है।

अदालत ने किशनपुरा में नव निर्मित जेल में विभिन्न श्रेणियों के खाली पड़े पदों को भरने के लिए मुख्य सचिव को आदेश दिए थे। मुख्य सचिव ने अदालत को बताया कि जेल विभाग में कुल 761 पद स्वीकृत हैं, जिसमें से 575 पद भरे गए हैं और 186 पद खाली हैं। इसके कारण जेलों का कार्य सुचारू रूप से नहीं चल रहा है। किशनपुरा जेल को तुरंत कार्यान्वित करने के लिए 21 पद वार्डर, एक पद जेओए आईटी और एक पद डिस्पेंसर का स्वीकृत किया गया है।

जेल वार्डर के 69 पदों को भरने के लिए 15 से 20 दिनों के भीतर निर्णय लिया जाएगा। अदालत ने हिमुडा को आदेश दिए है कि 19 अप्रैल 2022 को दिए गए आदेशों की अनुपालना रिपोर्ट दायर करें। अदालत ने आदेश दिए थे कि नालागढ़ स्थित किशनपुरा में नव निर्मित जेल की सीवरेज व्यवस्था दुरुस्त की जाए। इसी तरह सेंट्रल जेल कंडा में एक महिला स्त्री रोग विशेषज्ञ की तैनाती करने के आदेश पारित किए थे ताकि महिला कैदियों की हर सप्ताह चिकित्सा हो सके।

कैदियों की ओर से निर्मित उत्पाद की बिक्री पर कर में छूट देने के लिए राज्य सरकार को विचार करने के आदेश दिए गए थे। खंडपीठ ने न्यायालय परिसर व जिलाधीश कार्यालय में कैदियों की ओर से निर्मित वस्तुओं की बिक्री के लिए आउटलेट प्रदान किये जाने के भी आदेश दिए थे। मॉडल जेल कंडा में वेंडिंग मशीन के माध्यम से सैनिटरी नैपकिन की सुविधा प्रदान करने पर भी विचार करने को कहा गया था। राज्य की विभिन्न जेलों में बंद कैदियों के मनोरंजन और खेल गतिविधियां के लिए आवश्यक धन उपलब्ध कराने पर विचार करने के आदेश दिए गए थे।

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इसके अलावा नालागढ़, कुल्लू, मंडी और सोलन में नवनिर्मित जेलों की स्टेटस रिपोर्ट भी तलब की थी। बता दें कि देश भर में 1382 जेलों की दुर्दशा के मामले में सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देशों के तहत प्रदेश हाईकोर्ट ने संज्ञान लिया है। सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई के दौरान पाया था कि देश भर में 1382 ऐसी जेलें है जिनकी दुर्दशा बिलकुल ख़राब है। इन जेलों को मानव ठहराव के लिए उचित नहीं माना गया है। सुप्रीम कोर्ट ने भारतवर्ष के सभी मुख्य न्यायाधीशों को निर्देश दिए थे कि वे इस बारे में संज्ञान ले और सुप्रीम कोर्ट को अवगत करवाए। सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अनुपालना में हाईकोर्ट ने संज्ञान लिया था।

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