वॉशिंगटन: हमारे सौरमंडल में सबसे अनोखे ग्रहों की बात करें तो इसमें शनि का नाम सबसे पहले आता है। ऐसा इसलिए क्योंकि इस ग्रह के पास अपनी एक रिंग है, जो इसे देखने पर नजर आती है। लेकिन अब यह रिंग धीरे-धीरे गायब हो रही है।
1980 से ही खगोलविद जानते हैं कि शनि का ऊपरी वायुमंडल लगातार इसके बर्फीले रिंग का क्षरण कर रहा है। यह कितना तेजी से खत्म हो रहा है इसे इस हिसाब से समझा जा सकता है कि शनि पर बरसने वाली बर्फ हर रोज गल कर इतना पानी बनाती है, जिससे एक ओलंपिक स्वीमिंग पूल भरा जा सके।
शनि ग्रह की रिंग कितनी तेजी से खत्म हो रही है और यह कब पूरी तरह खत्म हो जाएगी? ये एक ऐसा सवाल है, जिसका जवाब अभी नहीं मिला है। लेकिन अब जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप इस रिंग के खत्म होने की घटना से जुड़ी जानकारी दे सकता है। जेम्स वेब ने अबने शक्तिशाली उपकरणों से वह कर दिखाया है, जो आज तक कोई टेलीस्कोप नहीं कर सका। इसने अंतरिक्ष के सबसे दूर के प्रकाश की फोटो खींची है। जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी के एक ग्रह वैज्ञानिक जेम्स ओ डोनोग्यू ने कहा, ‘हम इन छल्लों के खत्म होने की गति का पता लगा रहे हैं।’
सोमवार को जारी एक बयान में उन्होंने कहा था कि वर्तमान में हुए शोध से पता चला है कि यह छल्ले अगले कुछ लाख वर्षों तक शनि ग्रह का हिस्सा होंगे। शनि ग्रह के छल्ले कब तक रहेंगे, इसका बेहतर अनुमान लगाने के लिए जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप और हवाई में मौजूद केक ऑब्जर्वेटरी का इस्तेमाल किया जाएगा। टेलीस्को यह जानने में मदद करेंगे कि आखिर शनि ग्रह पर एक पूरे मौसम के दौरान रिंग की बारिश में क्या उतार चढ़ाव होता है।
खगोलविद अब दिलचस्प डेटा की उम्मीद कर रहे हैं। पिछले शोध से पता चला है कि भारी मात्रा में बर्फ शनि ग्रह पर बरस रही है। नासा के कैसिनी अंतरिक्ष यान ने पता लगाया था कि शनि ग्रह पर हर सेकंड 400 से 2800 किग्रा बर्फ बरस रही होती है। अगर इसी तरह बर्फ की बारिश होती रही तो अगले 30 करोड़ वर्षों में शनि ग्रह की रिंग पूरी तरह खत्म हो जाएगी। लेकिन बर्फ के गिरने की रफ्तार स्थिर नहीं है, इसमें बदलाव होता रहता है। एक अनुमान के मुताबिक यह रिंग हो सकता है कि 10 करोड़ साल में खत्म हो जाए या फिर 1 अरब साल में भी खत्म न हो।