कोलंबो: श्रीलंका ने चीनी नागरिकों के एक बड़े नेटवर्क का भंडाफोड़ किया है, जो ऑनलाइन धोखाधड़ी में शामिल थे। यह पहली बार है जब चीन के खिलाफ श्रीलंका में इस तरह की कोई कार्रवाई की गई है। यह इसलिए भी खास है क्योंकि श्रीलंका ने जो एक्शन लिया है उसमें चीनी नागरिकों पर लाखों ठगने का आरोप लगाया गया है।
जो जानकारी मिली है उसके मुताबिक इंटरपोल के अलर्ट के बाद यह एक्शन लिया गया है। इंटरपोल से मिले अलर्ट पर पिछले महीने श्रीलंकाई अधिकारियों ने ऑनलाइन धोखाधड़ी में शामिल 30 से ज्यादा चीनी नागरिकों को गिरफ्तार किया था। हालांकि जो जानकारी मिली है उसके मुताबिक इनमें से कुछ लोगों को जमानत पर रिहा कर दिया गया है। बताया जा रहा है कि ये आरोपी दो महीने तक कई लोगों को ठग चुके थे और उसके बाद टूरिस्ट वीजा पर श्रीलंका पहुंचे थे।
इन सभी चीनी नागरिकों को लंका के पश्चिमी प्रांत से गिरफ्तार किया गया है। गिरफ्तार किए गए चीनी नागरिकों ने दुनिया के कई देशों में ठगी को अंजाम दिया था। माना जा रहा है कि इन्होंने श्रीलंका में नए सिरे से अपना अभियान लॉन्च किया था। इन नागरिकों पर दुनियाभर से 300 मिलियन रुपए की ठगी का आरोप है। स्थानीय अधिकारियों के अनुसार इन नागरिकों के पास से कई लैपटॉप और मोबाइल फोन बरामद हुए हैं। इस मामले की जांच जारी है और जून में कोर्ट इस मामले की सुनवाई करेगी।
हिंद महासागर पर अपनी गतिविधियों को चलाने के लिए श्रीलंका का प्रयोग कर रहा है। ऐसे में भारत भी श्रीलंका में हो रही चीनी गतिविधियों पर हर तरीके से नजर रखे हुए है। यह चीनी नेटवर्क निश्चित तौर पर भारत के लिए बड़ा सिरदर्द था। चीनी नागरिकों के ऐसे नेटवर्क नेपाल और म्यांमार के अलावा कंबोडिया समेत दक्षिण पूर्व एशिया के कुछ और देश में मौजूद हैं। पिछले तीन सालों में चीनी नागरिकों की तरफ से संदिग्ध बिजनेस मॉडल और कई ऐप्स का भारत में कार्रवाई का सामना करना पड़ा है।
बिजनेस की आड़ में चीन के क्राइम सिंडिकेट दक्षिण पूर्व एशियाई देशों की स्थानीय कानून प्रवर्तन एजेंसियों के लिए सिरदर्द पैदा कर रहे हैं। कई चीनी सिंडिकेट कंबोडिया और थाईलैंड के बीच सीमा पर काम करते हैं। इस तरह के ठगों ने कोविड -19 महामारी का फायदा उठाया है जिसने कई लोगों को बेरोजगार कर दिया है।
इस बीच, चीन, युनान प्रांत और श्रीलंका के पूर्वी प्रांत के बीच सिस्टर सिटी सहयोग कायम करने पर जोर दे रहा है। श्रीलंका सरकार के सूत्रों के मुताबिक इससे श्रीलंका में चीनी नागरिकों की संख्या में इजाफा होगा। साथ ही धोखाधड़ी की आशंका भी बढ़ जाएगी। श्रीलंका में चीन के राजदूत ने पिछले साल पूर्वी प्रांत का दौरा किया था। तब से ही बीजिंग सिस्टर सिटी की सोच को आगे बढ़ा रहा है। इस साल मार्च में श्रीलंका के व्यापारिक प्रतिनिधिमंडल ने व्यावसायिक हितों को बढ़ावा देने के लिए युनान के व्यापारियों से मुलाकात की थी।