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पुराने जमाने के आयुर्वेदिक नुस्‍खे व रीतियां शिशु के लिए आज भी फायदेमंद

By Kanwar Thakur

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Summary

अखण्ड भारत डेस्क :- कोरोना महामारी हमको आयुर्वेदिक काल में ले गई है जहां कई जड़ी बूटियों और मसालों से काढ़ा तैयार कर रोज पिया जाता था। उस समय इम्‍यूनिटी बढ़ाने के लिए आयुर्वेदिक नुस्खों पर निर्भर किया जाता था और अब भी कोरोना से बचने के लिए यही तरीका ...

विस्तार से पढ़ें:

अखण्ड भारत डेस्क :- कोरोना महामारी हमको आयुर्वेदिक काल में ले गई है जहां कई जड़ी बूटियों और मसालों से काढ़ा तैयार कर रोज पिया जाता था। उस समय इम्‍यूनिटी बढ़ाने के लिए आयुर्वेदिक नुस्खों पर निर्भर किया जाता था और अब भी कोरोना से बचने के लिए यही तरीका अपनाया जा रहा है। स्‍वास्‍थ्‍य के लिए आयुर्वेद एक नहीं बल्कि कई तरह से लाभकारी है। इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे शिशु के लिए फायदेमंद पुराने जमाने के आयुर्वेदिक नुस्‍खों के बारे में। आगे हम कुछ ऐसी रीतियों के बारे में बताने वाले हैं जो पुराने जमाने में की जाती थीं और इन पर लोग बहुत भरोसा भी करते थे।

पुराने जमाने के आयुर्वेदिक नुस्‍खे व रीतियां शिशु के लिए आज भी फायदेमंद

पुराने जमाने में जीवनशैली से जुड़ी ये कुछ बातें आज भी आपके बच्‍चे के लिए अच्‍छी साबित हो सकती हैं। शिशु बोल नहीं सकता है लेकिन उसे भी डर और चिंता होती है। आपको शिशु से बहुत प्‍यार से बात करनी चाहिए। जब बच्‍चा सो रहा हो, तो चिल्‍लाएं नहीं और न ही तेज बात करें। कई बार बच्‍चे को हवा में उछालने पर, उसमें डर पैदा हो सकता है इसलिए ऐसा करने से बचें। एक साल के होने से पहले बच्‍चे को मधुर संगीत और लोरियां सुनाएं । कभी भी इतने छोटे बच्‍चे को अकेला न छोड़ें। बच्‍चे के सामने कटु शब्‍दों का प्रयोग न करें। पारंपरिक रूप से नवजात शिशु को एक अलग कमरे में रखा जाता था जहां सिर्फ मां या परिवार की किसी बड़ी महिला को ही जाने की अनुमति होती थी। शिशु को लोगों के स्‍पर्श से दूर रखने और इंफेक्‍शन से बचाने के लिए ऐसा किया जाता था। जन्‍म के बाद तीसरे या चौथे महीने तक शिशु की इम्‍यूनिटी विकसित नहीं हुई होती है और इसलिए ही बच्‍चे को अलग रखा जाता है।