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रंग में भंग न पड़ जाए, 10 बातों का ध्यान रखें अस्थमा के मरीज, वरना आ सकता है अटैक

By Sushama Chauhan

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होली के रंग आपके लिए मुसीबत बन सकते हैं, मौज-मस्ती के चक्कर में सेहत से खिलवाड़ न करें। डॉक्टर द्वारा बाताए उपायों का विशेष ध्यान रखें। रंगों का पर्व होली (Holi) बस आने ही वाला है। इस बार यानी साल 2023 में यह पर्व 8 मार्च को मनाया जाएगा। मौज-मस्ती ...

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होली के रंग आपके लिए मुसीबत बन सकते हैं, मौज-मस्ती के चक्कर में सेहत से खिलवाड़ न करें। डॉक्टर द्वारा बाताए उपायों का विशेष ध्यान रखें। रंगों का पर्व होली (Holi) बस आने ही वाला है। इस बार यानी साल 2023 में यह पर्व 8 मार्च को मनाया जाएगा। मौज-मस्ती का यह पर्व कुछ लोगों के लिए आफत बन सकता है, जिनमें अस्थमा या सांस की किसी से जूझ रहे लोग शामिल हैं। होली के रंग ऐसे लोगों में लक्षणों को बढ़ा सकते हैं।

रंग में भंग न पड़ जाए, 10 बातों का ध्यान रखें अस्थमा के मरीज, वरना आ सकता है अटैक

नॉएडा के ई-260 सेक्टर 27 स्थित ‘कपिल त्यागी आयुर्वेद क्लिनिक’ के डायरेक्टर डॉक्टर कपिल त्यागी के अनुसार, मौसम में भी बदलाव हो रहा है और यह पराग का भी समय है, जो अस्थमा और सांस की एलर्जी को बढ़ा सकते हैं। वैसे तो अस्थमा के मरीजों को होली के रंगों से बचना चाहिए लेकिन अगर आप होली खेलने का प्लान बना रहे हैं, तो आपको कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए।

होली का पर्व फसल के मौसम में आता है। इन दिनों पेड़ और पौधे पराग छोड़ते हैं। इससे एलर्जी, छींकने, घरघराहट और अस्थमा के अटैक का खतरा बढ़ जाता है। अस्थमा या सांस के मरीज जितना हो सके घर के अंदर रहें। यदि होली खेलने बाहर जा रहे हैं, तो उन्हें अपनी नाक और मुंह को मास्क या नम कपड़े से ढंकना चाहिए और साथ में अपने इनहेलर्स को ले जाना चाहिए।

होली के सूखे और गीले रंगों में से कई चिड़चिड़ाहट, एलर्जी, छींक या घरघराहट को बढ़ा सकते हैं। अधिकतर अस्थमा मरीजों को स्किन एलर्जी भी होती है और होली रंग इसे बढ़ा सकते हैं। इनके बजाय सुरक्षित रंगों का उपयोग करें। जितना संभव हो सके, उतना रंग से बचने से बचने की कोशिश करें।

अस्थमा फेफड़ों की सूजन का कारण है। जब फेफड़े ठंडी हवा या मौसम में बदलाव होता है, तो उनमें ऐंठन या वो संकुचित होने लगते हैं, जिससे व्यक्ति के लिए सांस लेना मुश्किल हो जाता है। अगर किसी वजह से होली खेलने के दौरान आपको लगता है कि आपकी स्थिति बिगड़ रही है, तो इनहेलर आपकी जान बचा सकता है।

बेशक होली मौज-मस्ती का पर्व है और इस दिन लोग जमकर नशा भी करते हैं लेकिन आपको अपनी सेहत को लेकर सतर्क रहना चाहिए। शर्ब पीने या स्मोकिंग से आपकी तबीयत ज्यादा खराब हो सकती है और रंग में भंग पड़ सकता है। अस्थमा अटैक से पहले आपको छाती में जकड़न, सांस लेने में परेशानी, घरघराहट, खांसी और ऑक्सीजन लेवल कम होना जैसे लक्षण महसूस हो सकते हैं स्तर।

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ऐसे लक्षण महसूस होने पर तुरंत अपने इनहेलर का इस्तेमाल करें। यदि आपके पास कोई इनहेलर नहीं है, तो नेबुलाइज़र काम कर सकता है। अगर लक्षण कम नहीं हो होते हैं, तो तुरंत नजदीकी अस्पताल जाएं। अपने दोस्तों को बताएं कि आप अस्थमा के मरीज हैं ताकि आपको रंग न लगाएं, अपने खाने में विटामिन डी वाले खाद्य पदार्थ शामिल करें, चिंता-तनाव से दूर रहें और बहुत ज्यादा उत्तेजित भी न हों और अपनी दवाओं को समय लें।

डिस्क्लेमर: यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है। यह किसी भी तरह से किसी दवा या इलाज का विकल्प नहीं हो सकता। ज्यादा जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से संपर्क करें।

Sushama Chauhan

सुषमा चौहान, हिमाचल प्रदेश के विभिन्न प्रिंट,ईलेक्ट्रोनिक सहित सोशल मीडिया पर सक्रीय है! विभिन्न संस्थानों के साथ सुषमा चौहान "अखण्ड भारत" सोशल मीडिया पर मोजूदा वक्त में सक्रियता निभा रही है !