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भोरंज : बेसहारा पशुओं का सहारा बन रही कामधेनु गौशाला

By Sandhya Kashyap

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भोरंज : विधानसभा के जाहु में स्थित कामधेनु गौशाला क्षेत्र में बेसहारा घूम रहे पशुओं का सहारा बन रही है, लेकिन कामधेनु गौशाला के इस जनहित के कार्य में राजस्व विभाग की लापरवाही व लेटलतीफी आड़े आ रही है। आलम यह है कि कामधेनु गौशाला प्रबंधन गौशाला के विस्तारीकरण का ...

विस्तार से पढ़ें:

भोरंज : विधानसभा के जाहु में स्थित कामधेनु गौशाला क्षेत्र में बेसहारा घूम रहे पशुओं का सहारा बन रही है, लेकिन कामधेनु गौशाला के इस जनहित के कार्य में राजस्व विभाग की लापरवाही व लेटलतीफी आड़े आ रही है।

आलम यह है कि कामधेनु गौशाला प्रबंधन गौशाला के विस्तारीकरण का काम करना चाह रहा है, लेकिन प्रबंधन कमेटी का यह कार्य राजस्व विभाग द्वारा जमीन की डिमार्केशन न करने से लटक गया है। हालांकि कामधेनु गौशाला प्रबंधन कमेटी ने अपनी 8 कनाल भूमि की निशानदेही के लिए राजस्व विभाग को वर्ष 2013 में फाइल भेजी थी, लेकिन करीब 9 सालों से विभाग की लापरवाही व लेटलतीफी के चलते निशानदेही की यह फाइल राजस्व विभाग के कार्यालय में धूल फांक रही है, जिसके चलते स्थानीय ग्रामीणों व गौशाला कमेटी में विभाग के प्रति आक्रोश है। दीगर है कि कामधेनु गौशाला जाहु वर्तमान समय में 250 के करीब गौवंश को सहारा दे रही है।

गौशाला प्रबंधन कमेटी का मकसद क्षेत्र में घूम रहे 450 के करीब अन्य बेसहारा बैलों को भी छत नसीब करवाना है। जिसके लिए गौशाला प्रबंधन कमेटी ने ग्रामीणों की 8 कनाल सांझा भूमि को लेकर निशानदेही के लिए एक फाइल राजस्व विभाग को भेजी थी, लेकिन राजस्व विभाग की मनमानी यह रही है कि पिछले 9 सालों में विभाग के अधिकारियों ने इस फाइल पर जमा धूल तक को साफ नहीं किया है। जिस कारण बेसहारा घूम रहे बैलों को अभी तक छत नहीं बन पाई है।

गौशाला प्रबंधन कमेटी की मुश्किल यह है कि गौशाला में रखी गई गऊओं के साथ बेसहारा घूम रहे इन बैलों को नहीं रखा जा सकता है। क्योंकि यह बैल गौशाला में रखी गई गऊओं को परेशानी पैदा कर सकते हैं और दूसरी बात यह है कि गौशाला में 250 से अधिक गौवंश रखने की व्यवस्था कमेटी के पास उपलब्ध नहीं है।

इसलिए प्रबंधन कमेटी गौशाला के विस्तारीकरण के लिए पिछले कई सालों से लगातार प्रयत्नशील है, लेकिन राजस्व विभाग कामधेनु गौशाला प्रबंधन कमेटी के रास्ते में रोडा बन कर खड़ी हो गई है।

हैरानी इस बात की है कि कामधेनु गौशाला प्रबंधन कमेटी बेसहारा पशुओं का सहारा तो बनना चाह रही है, लेकिन राजस्व विभाग 9 सालों में उनकी जमीन की निशानदेही तक करवाने में नाकाम रहा है। ऐसा नहीं है कि यह जमीन सरकारी या बाहरी लोगों की है, ग्रामीणों की सहमति होने के बावजूद भी राजस्व विभाग ने अभी तक एक बार भी इस जमीन की निशानदेही करने की जहमत नहीं उठाई है। बड़ी बात तो यह भी है कि राजस्व विभाग के अधिकारियों को इस फाइल के बारे में पूरी जानकारी ही नहीं है।

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इस संबंध में कामधेनु गौशाला जाहु के अध्यक्ष रतन चंद शर्मा का कहना है कि कामधेनु गौशाला में 250 के करीब गौवंश हैं। जबकि 450 के करीब बैल बेसहारा घूम रहे हैं। इन लावारिस बैलों के लिए छत बनाने के लिए प्रबंधन कमेटी ने जमीन की निशानदेही के लिए 2013 में राजस्व विभाग को एक फाइल भेजी थी, लेकिन राजस्व विभाग अभी तक इस जमीन की निशानदेही नहीं करवा पाया है, जिसके कारण गौशाला के विस्तारीकरण व लावारिस बैलों को छत बनाने का काम लटक गया है।

वहीं, तहसीलदार भोरंज मित्रदेव का कहना है कि कामधेनु गौशाला की जमीन की निशानदेही की फाइल के बारे मुझे पूरी जानकारी नहीं है। अभी मैं छुट्टी पर हूं। लेकिन इस फाइल पर कार्रवाई करने के लिए संबंधित कानूनगो व पटवारी को आदेश दिए जाएंगे। शीघ्र ही जमीन की निशानदेही कर समस्या का समाधान किया जाएगा।