पांवटा साहिब : हिमाचल व् उत्तराखंड की सीमा इन दिनों विदेशी परिंदों से गुलज़ार हो चुकी है। प्रदेश की सीमा के साथ लगती यमुना नदी सहित पडोसी राज्य उत्तराखंड का आसन वेटलैंड प्रवासी पक्षियों से गुलज़ार हो गया है। दोनों राज्यों की सीमा के साथ लगती यमुना नदी और आसन वेटलैंड में 5 हज़ार के करीब विदेशी परिंदे पहुँच चुके है जिसमे अब तक 40 विभिन्न प्रजातियों के पक्षी यहाँ डेरा डाल चुके है जिनकी सुरक्षा के लिए दोनों राज्यों के वन विभाग के कर्मचारी मुस्तेद है।
पक्षियों को प्राकृतिक दुनिया का दूत भी कहा जाता है और हर साल ये प्राकृतिक दुनिया के दूत लम्बी दूरी तय करते भारत के विभिन्न स्थानों में पहुँचते है , जिनमे से हिमाचल उत्तराखंड के साथ लगती यमुना नदी और खासकर उत्तराखंड के आसन वेटलैंड पर इन विदेशी परिंदों का अस्थायी ठिकाना बन जाता है, हर साल अक्टूबर से मार्च तक के लिए इन विदेशी मेहमानों से आसपास का इलाका गुलज़ार रहता है।
हिमाचल की सीमा के साथ लगते देश के पहले कंजरवेशन रिजर्व आसन वेटलैंड पर हर साल दिसंबर अंत तक 6 हज़ार के करीब पक्षी पहुँचते है लेकिन अभी तक 5 हज़ार के करीब विदेशी परिंदे पहुँच चुके है।
कॉमन कारमोरेंट, रुडी शेलडक यानी सुर्खाब, कामन पोचार्ड, कामन कूट, ग्रे लेग लिटिल इगरेट, किंगफिशर, व्हाइट ब्रिस्टेड वाटर हैन, कॉमन मोरेहन, ग्रे हेरोन, पर्पल हेरोन, वूली नेक्ड स्टॉक, स्पॉट बिल्ड डक व डुबकी मार बतख सहित करीब 40 अलग अलग प्रजातियों के परिंदे यहाँ पहुंचे है।
सर्दियों के मौसम में विभिन्न ट्रांस हिमालयन प्रवासी पक्षी यहां आराम करते हैं। अक्टूबर से नवंबर और फरवरी से मार्च तक की अवधि में यहां सर्वाधिक प्रवासी पक्षियों को देखा जा सकता है। यहाँ सर्दियों के मौसम के दौरान आपको लगभग 90 प्रतिशत दुर्लभ जलपक्षी, 11 प्रवासी पक्षी प्रजातियों को देखा जा सकता है।
उत्तराखंड वन विभाग के “उपवन क्षेत्राधिकारी – त्रिलोचन प्रसाद कुठारी ने जानकारी देते हुए बताया की हिमाचल व् उत्तराखंड के साथ लगती यमुना नदी में भी विदेशी पक्षी डेरा डाले हुए है जबकि इनकी अधिकतर संख्या आसन वेटलैंड पर मोजूद रहती है और यहाँ सुरक्षा की दृष्ठि से पक्षियों का ख़ास ख्याल रखा जाता है। अभी और पक्षियों के पहुंचे की भी संभावनाए है।