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शिलाई अस्पताल में दाँतों के मरीजो को हर सम्भव सुविधाएँ उपलब्ध: डा० प्रदीप सरन

By Sushama Chauhan

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दशकों बाद शिलाई अस्पताल में पहुंची दंत रोग विशेषज्ञ, लोगों को मिल रही घरद्वार सुविधाएँ

शिलाई: विस क्षेत्र के केन्द्रीय अस्पताल शिलाई में दाँतों के डाक्टर आने से लोगों की दांतों से सम्बन्धित बिमारियों का इलाज घरद्वार होने लगा है अब क्षेत्रीय लोगों को पावटा, नहान सहित अन्य हायर स्वास्थ्य सेंटर नही जाना पडेगा, शिलाई अस्पताल में दन्त रोग विशेषग्य की नियुक्ति होने से क्षेत्र में खुशी का माहोल है!

शिलाई अस्पताल क्षेत्र का केन्द्रीय अस्पताल है हजारों लोगों का स्वास्थ्य शिलाई अस्पताल के भरोसे है लेकिन दशकों से यहां दन्त रोग विशेषग्य का पद खाली होने से लोगों को अपना इलाज करवाने के लिए १०० से २०० किलोमीटर दूर स्वास्थ्य केन्द्रों में जाना पड़ रहा था लम्बे अरसे बाद लोगों को दन्त रोग विशेषग्य की सुविधाएँ प्राप्त हुई है तथा अब क्षेत्रीय लोगों को अपने दांतों का इलाज करवाने के लिए हजारों रूपये खर्च नहीं करने होंगे,

शिलाई अस्पताल में दाँतों के मरीजो को हर सम्भव सुविधाएँ उपलब्ध: डा० प्रदीप सरन

इन कारणों से होते है अक्सर दांत खराब

दांतों को सबसे ज्यादा खाने-पीने के कारण नुकसान पहुँचता है। मिठाइयों में कई बैक्टीरिया पाये जाते हैं। अधिक मिठाई खाने वाले लोगों के मुँह में अधिक बैक्टीरिया होंते है बैक्टीरिया एसिड का उत्पादन कर दांतों के इनामेल को नुकसान पहुंचाते हैं और नियमित रूप से दांतों की सफाई न होने से स्थिति अधिक बदतर हो जाती है। कोल्ड ड्रिंक, डिब्बाबंद जूस, अधिक कॉफी का सेवन, तनाव और नींद की कमी के चलते अपने दांतों को आपस में रगड़ने लगते हैं जिससे दांत कमजोर होने लगते हैं। बोतलों के ढक्कन खोलने के लिए अगर आप दांतों का इस्तेमाल करते हैं तो संभल जाइये क्योंकि ऐसा करने से दांतों में दरारें आने लगती हैं और दांत कमजोर होकर टूट सकते हैं। ज्यादा बर्फ खाने से दांतों में दरारें आ सकती हैं। कैंडी की अधिकांश किस्मों में एसिड होता है, लेकिन खट्टी कैंडीज में खट्टापन देने के लिए बहुत अधिक मात्रा में एसिड होता है इसलिए कैंडी को खाने से बचें क्योंकि यह आपके दांतों के इनामेल में बड़ी क्षति पहुंचाती है। दवाएं भी दो तरीके से दांतों के इनामेल को नुकसान पहुंचा सकती है एक लार की मात्रा को कम कर मुँह में सूखापन का कारण बनकर, दूसरा इसमें मौजूद अम्लीय तत्व की मौजूदगी के कारण। इसके अलावा दवाओं या सप्लीमेंट में विटामिन-सी की मौजूदगी इन्हें  अत्यधिक अम्लीय बनाती हैं, जो इनामेल को नुकसान पहुंचा सकता है।

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अस्पताल में कार्यरत दन्त रोग विशेषग्य डाक्टर प्रदीप सरन ने बताती है कि उनका प्रयास है क्षेत्र में दाँतों के मरीजो को हर सम्भव सुविधाएँ उपलब्ध करवाना है अस्पताल में कार्यरत डाक्टर शीतल शर्मा बताते है कि शिलाई अस्पताल में दन्त रोग विशेषग्य की नियुक्ति नवम्बर माहं में हुई है तथा दांतों से सम्बन्धित रोगों का इलाज हो रहा है क्षेत्र के सभी लोगों से आग्रह है कि शिलाई अस्पताल में ही अपने दांतों का इलाज संभव है इसलिए हायर सेंटर जाने की बजाए शिलाई अस्पताल आकार अपना इलाज सुनिशचित करें !

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