पुस्तकालय: भाषा पर पकड़ मजबूत होती है, शब्दावली विकास, दृढ़ इच्छा शक्ति, समय के लिए प्रतिबद्व , समय का सदुपयोग एवं रोज कुछ नया पढ़ने और सिखने की चाह रहती है
लेखक: डॉ मीनाक्षी गुप्ता, ( डिप्टी लाइब्रेरियन ) इटरनल यूनिवर्सिटी, बडू साहिब, हिमाचल से है
इन दिनों स्कूल, कॉलेजों और विशवविद्यालयों में नए सत्र की कक्षाएं शुरू हो गई हैं। विद्यार्थियों ने पसंदीदा विषयों सहित संस्थानों में दाखिला लिया है। विद्यार्थी नई उमंग और उत्साह के साथ कक्षाओं में जाते हैं। कुछ विद्यार्थी घरों से तो कुछ विद्यार्थी छात्रावासों में रहकर सपनो को साकार करने के लिए तैयार हैं। स्कूल से निकलकर स्वतंत्र वातावरण, स्कूल ड्रेस से छुटकारा, नए दोस्त, नए अध्यापक और अपनी पसंद के विषय सब कुछ नया, अपनी पसंदीदा नए नए कपडे खरीदना, जैसे उनके सपनो को पंख लग गए हों, ओर विद्यार्थी उत्साह से भरे रहते है।
पुस्तकालय किसी भी संस्थान का दिल रहता है
जो बच्चे अभिभावकों के सपनो को पूरा करने को लेकर निश्चित मुकाम हासिल करना चाहते है। उनके लिए बेहद जरूरी है कि निम्न बातों का अनुसरण करके अपनी आजादी भरी ज़िंदगी को आगे लेकर चलें। हमारी आदतें उस व्यव्हार का नाम है जो बार-बार दोहराए जाने के कारण स्वचालित रूप से होने लगता है। आदत कार्य का वह रूप है जो प्रारम्भ में अपनी इच्छा से जान- बुझ कर किया जाता है परन्तु बार बार किये जाने के कारण वह स्वचालित हो जाता है। कुछ आदतों को हमें स्वयं अपनाना पड़ता है अतः स्पष्ट है कि हम किसी संसथान में प्रवेश लें तो साथ, साथ वहां के पुस्तकालय को प्रयोग करने की आदत अवश्य डालें। “पुस्तकालय किसी भी संस्थान का दिल रहता है” ओर अब सभी संस्थानों ने पुस्तकालय की उपस्थिति को अनिवार्य बना दिया है। जब एक अकादमिक संस्थान की बात आती है तो पुस्तकालय विद्यार्थी जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
बच्चा स्कूली जीवन से लेकर उच्चतर शिक्षा तक किताबों से जुड़ा होता है। ऐसे मे “पुस्तकालय अलमारियों के वह खाने हैं जहाँ सद्गुणयुक्त सन्तों की स्मृतियाँ, बिना किसी भ्रमपूर्ण मिश्रण और पूर्ण महत्ता के साथ सुरक्षित एवं अनुरक्षित रखी जाती हैं। पुस्तकालय का उद्देश्य विद्यार्थियों को विभिन्न प्रकार से पढ़ने की सामग्री उपलब्ध करवाना है। हर विषय पर समसामयिक पत्र, पत्रिकाएँ, रोजाना हर भाषा मे अख़बार विद्यार्थियों के उपयोग की विषय से सम्बधित पुस्तकें और आजकल अधिकतर संस्थानों में ओपन शेल्विंग प्रथा है तो विद्यार्थी अपनी पसंदीदा पुस्तक को स्वयं लेकर पढ़ सकतें है।
यदि विद्यार्थी पुस्तकालय में नित्यप्रति आएगा और अपने रूचि के अनुसार पढ़ेगा तो धीरे धीरे लगातार बैठने की क्षमता बढेगी। जो कि किसी भी विद्यार्थी के लिए प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारीयां करने के लिए लाभप्रद होगी। संसथान, विद्यार्थियों के लिए दूसरा घर माना जाता है और बुनियादी पाठन कौशल के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। पुस्तकालय विद्यार्थियों को अच्छा वातावरण बनाकर सम्बंधित सामग्री पढ़ने के लिए प्रेरित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं जो पढ़ने की आदतों को विकसित करने में मदद करते हैं। बच्चों में पढ़ने की आदत बनना महत्वपूर्ण है क्योंकि सीखने के उच्चस्तर पर जाने पर पुस्तकालय बहुत मददगार साबित होते हैं। पुस्तकालय की सेवाओं का उद्देश्य विद्यार्थियों में पढ़ने की आदत पैदा करना रहता है। पुस्तकालय में पाठ्यचर्या के लिए अनुशंसित पुस्तकों के अलावा, कहानी की किताबें, हास्य किताबें, संस्कृति के इतिहास से संबंधित किताबें पढ़ने के लिए प्रदान की जा जाती हैं। नित्यप्रति अख़बार पड़ने से विद्यार्थी देश दुनिया से जुड़े रहते हैं जो सोच कौशल और कल्पना को विकसित करती हैं।
लिखने की क्षमता का विकास पुस्तकालय में जाकर विभिन्न किताबों से पढ़कर विद्यार्थी अच्छे नोट्स बनाते हैं। जिससे लिखने की क्षमता का विकास होता है जो की डिजिटल युग में जरुरी है। किसी भी अन्य कौशल के प्रयास की तरह उत्तम बनने के लिए विद्यार्थियों को मैमोरी प्रैक्टिस की आवश्यता होती है क्योंकि प्रयास ही हमें कुशल बनाते हैं। जब विद्यार्थी पुस्तकालय में बैठकर अलग अलग विषय पड़ता है तो स्मरण शक्ति और याद रखने की क्षमता अपने आप बढ़ जाती है। विशिष्ट प्रकार के विषय के बारे में रूचि बढ़ाने से उन्हें याद करने में आसानी होती है। इसके साथ ही वह जानकारी को लंबे समय तक स्टोर कर पाते है। अच्छी आदतों सहित विद्यार्थियों मे नित्य पुस्तकालय के उपयोग से अन्य आदतों का विकास होता है। भाषा पर पकड़ मजबूत होती है , शब्दावली विकास, दृढ़ इच्छा शक्ति, समय के लिए प्रतिबद्व , समय का सदुपयोग एवं रोज कुछ नया पढ़ने और सिखने की चाह रहती है। इसलिए नए विद्यार्थियों को पुस्तकालय का उपयोग अपने रोजमर्रा की पढ़ाई का हिस्सा बनायें रखना चाहिए।