‘मैजिक मिरर’ एक प्राचीन कला है जिसकी उत्पत्ति हान साम्राज्य में हुई थी जो 206 ईसा पूर्व से 220 ईसवी तक था।
म्यूजियम के ईस्ट एशियन आर्ट के क्यूरेटर हौ-मेई सुंग लंबे समय से इस तरह के मैजिक मिरर की खोज कर रहे हैं। उन्हें कलाकृति का एक टुकड़ा मिला था जो उनके मुताबिक जापान के एडो-पीरियड काल का था।
सदियों पुराने ‘मैजिक मिरर’ का इस्तेमाल करके एक प्राचीन कलाकृति में छिपे एक रहस्यमय संदेश की खोज की गई है। 15वीं-16वीं शताब्दी का एक छोटा सा कांस्य अवशेष दशकों से हजारों प्राचीन चीजों के बीच सिनसिनाटी आर्ट म्यूजियम के ईस्ट एशियन आर्ट कलेक्शन में रखा हुआ था। आम लोगों के लिए यह दिखने में बिल्कुल साधारण और सपाट थी लेकिन इस कांस्य प्लेट में एक खुफिया संदेश छिपा हुआ था। विशेषज्ञ पता लगा रहे हैं कि इस मिरर की उत्पत्ति चीन में हुई थी या जापान में।
द सन की खबर के अनुसार, म्यूजियम ने बताया कि ‘मैजिक मिरर’ एक प्राचीन कला है जिसकी उत्पत्ति हान साम्राज्य में हुई थी जो 206 ईसा पूर्व से 220 ईसवी तक था। कांस्य कलाकृति के एक तरफ एक पैटर्न बना हुआ है और दूसरी तरफ चमकदार सतह होती है जिसे मिरर के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। जब इस मिरर पर प्रकाश पड़ता है तो दूसरी तरफ बना पैटर्न या तस्वीर दीवार पर दिखाई देती है।द सन की खबर के अनुसार, म्यूजियम ने बताया कि ‘मैजिक मिरर’ एक प्राचीन कला है जिसकी उत्पत्ति हान साम्राज्य में हुई थी जो 206 ईसा पूर्व से 220 ईसवी तक था। कांस्य कलाकृति के एक तरफ एक पैटर्न बना हुआ है और दूसरी तरफ चमकदार सतह होती है जिसे मिरर के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। जब इस मिरर पर प्रकाश पड़ता है तो दूसरी तरफ बना पैटर्न या तस्वीर दीवार पर दिखाई देती है।
म्यूजियम के ईस्ट एशियन आर्ट की क्यूरेटर हौ-मेई सुंग लंबे समय से इस तरह के मैजिक मिरर की खोज कर रही हैं। उन्हें कलाकृति का एक टुकड़ा मिला था जो उनके मुताबिक जापान के एडो काल का था। सिनसिनाटी की कलाकृति ने बेहद जटिल तरह की चीनी लिपि को दिखाया है जिसमें छह अक्षर लिखे हुए हैं जो ‘अमिताभ बुद्ध’ का नाम है। आर्टनेट न्यूज से बात करते हुए उन्होंने कहा, ‘यह वाकई किस्मत की बात है।’
उन्होंने बताया, ‘हम कांस्य कलाकृति को म्यूजियम गैलरी में प्रदर्शनी के लिए रखने वाले थे। जिज्ञासावश, मैं इसे टेस्ट करना चाहती थी।’ सुंग एक संरक्षण विशेषज्ञ को म्यूजियम लेकर आईं और प्लेट के कथित मैजिक मिरर पर प्रकाश डाला। 7न्यूज से बात करते हुए उन्होंने कहा, ‘मैंने उनसे मिरर पर तेज रोशनी डालने के लिए कहा। इसलिए उन्होंने अपने मोबाइल की फ्लैश लाइट का इस्तेमाल किया।’ कुछ कोशिशों के बाद 8.5 इंच व्यास के मिरर का रहस्य उनके सामने दीवार पर दिखाई देने लगा। यह भगवान बुद्ध की बैठी हुई मुद्रा की तस्वीर थी जिनके पीछे से प्रकाश की किरणें निकल रही थीं।