धर्मशाला : हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय के समाज कार्य विभाग द्वारा 7 से 16 जुलाई तक आयोजित 10 दिवसीय शोध क्रिया विधि पाठ्यक्रम (राष्ट्रीय स्तर पर) का विश्वविद्यालय के धौलाधार परिसर-1 के सैमीनार कक्ष में शुभारंभ किया गया। पाठ्यक्रम का संचालन सामाज कार्य विभाग द्वारा भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली के सहयोग से किया जा रहा है।
इस कार्यक्रम के लिए भारत भर से 30 प्रतिभागियों का चयन किया गया है। यह शोध क्रिया विधि पाठ्यक्रम सामाजिक विज्ञान के विभिन्न विषयों में अनुसंधान के लिए कौशल और क्षमता के साथ अनुसंधान समझ विकसित करने के लिए विशेष रूप से डिजाइन किया गया है। कार्यक्रम का उद्घाटन मुख्यातिथि प्रो. प्रदीप कुमार, अधिष्ठाता अकादमिक विशिष्ट अतिथि प्रो. विशाल सूद, विभागाध्यक्ष, शिक्षा विभाग एवं कुलसचिव आदि ने किया।
प्रो. राव ने डाटा की विश्वसनीयता के महत्व का उल्लेख किया और उन्होंने इतिहास के निर्माण में डाटा के महत्व का सही परिप्रेक्ष्य में उल्लेख करते हुए निष्कर्ष निकाला। प्रो. विशाल सूद ने सभी विषयों के लिए शोध के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि शोध में आपको सही परिप्रेक्ष्य के साथ सही शब्दों का चयन करना चाहिए।
प्रो. प्रदीप कुमार ने शोध की निष्पक्षता का उल्लेख किया और शोधार्थियों से सवाल किया कि वे जो शोध कर रहे हैं, वह समाज के लिए फायदेमंद है या नहीं। इस कार्यक्रम के लिए कुल 145 प्रतिभागियों ने आवेदन किया था लेकिन केवल 30 प्रतिभागियों का चयन किया गया, जिनमें पूरे भारत से 10, हिमाचल प्रदेश से 10 और हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय से 10 प्रतिभागी शामिल हैं।