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पीएम मोदी ने पुतिन से यूं ही नहीं की थी बात, नाटो का रूस पर ऐलान था बड़ी वजह

By Sushama Chauhan

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PM Modi did not talk to Putin like this, NATO's announcement on Russia was a big reason

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यूक्रेन की जंग को लेकर रूस को ‘झुकाने’ का प्रयास बेकार, ‘भारत को ब्रिक्‍स में अपना गंभीरतापूर्वक आकलन करना होगा

रूस और अमेरिका के बीच बढ़ते तनाव से दुनिया में एक नए शीतयुद्ध की शुरुआत होती दिख रही है। नाटो ने ऐलान किया है कि अगले एक दशक में रूस उसके लिए सीधा और सबसे महत्‍वपूर्ण खतरा है। इसी ऐलान के बाद पीएम मोदी ने पुतिन से फोन पर बातचीत की थी।

नाटो देशों के शिखर सम्‍मेलन के ठीक बाद भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस के राष्‍ट्रपति व्‍लादिमीर पुतिन से फोन पर बातचीत की। इस शिखर बैठक में नाटो ने ऐलान किया है कि रूस उनके सैन्‍य गठबंधन के लिए ‘सबसे महत्‍वपूर्ण और सीधा खतरा है।’ विशेषज्ञों का मानना है कि पीएम मोदी और पुतिन ने इस बातचीत के जरिए बड़ा संदेश दिया है। इस बातचीत में मोदी और पुतिन ने साफ कर दिया कि पश्चिमी देशों के रूस के खिलाफ लगाए गए प्रतिबंधों के बाद भी दोनों देशों के बीच आर्थिक सहयोग को और ज्‍यादा बढ़ाया जाएगा।

अहम बात यह है कि रूस के खिलाफ पश्चिमी देशों के प्रतिबंध लगाने से भारत और रूस के बीच द्विपक्षीय व्‍यापार बहुत ज्‍यादा बढ़ गया है। सोवियत संघ के पतन के बाद इसकी कल्‍पना भी नहीं की गई थी कि भारत-रूस के बीच व्‍यापार में इतनी ज्‍यादा तेजी आएगी। पीएम मोदी ने रूसी राष्‍ट्रपति से यह बातचीत पिछले दिनों हुई ब्रिक्‍स बैठक के बाद की है। यह बातचीत ऐसे समय पर हुई है जब पश्चिमी देशों ने ब्रिक्‍स देशों के बीच मतभेद पैदा करने के लिए अपने प्रयास तेज कर दिए हैं। पश्चिमी देशों की ओर से भारत पर दबाव बनाया जा रहा है कि वह रूस से तेल न खरीदे और दुनिया में शुरू हुए नए शीतयुद्ध में उनका साथ दे।

पीएम मोदी ने पुतिन से यूं ही नहीं की थी बात, नाटो का रूस पर ऐलान था बड़ी वजह

पश्चिमी देशों का मानना है कि चीन और भारत रूस को रणनीतिक मजबूती दे रहे हैं जिससे उनका यूक्रेन की जंग को लेकर रूस को ‘झुकाने’ का प्रयास बेकार हो जा रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि पश्चिमी देश भारत को रूस और चीन के बीच बढ़ती दोस्‍ती को लेकर डरा रहे थे लेकिन भारत इससे विचल‍ित होता नहीं दिख रहा है। इससे उलट भारत रूस के खिलाफ लगे प्रतिबंधों को एक बड़े अवसर के रूप में देख रहा है ताकि एशिया-प्रशांत की ओर झुके रूस के साथ आर्थिक भागीदारी करके लाभ उठाया जा सके।

यही वजह है कि भारत बिना किसी संदेह के अमेरिका और रूस दोनों को ही संतुलित करने में जुटा हुआ है। ब्रिक्‍स शिखर बैठक को इस संबंध में निगरानी के बड़े मौके के रूप में देखा गया। इसे इस रूप में देखा गया कि क्‍या भारत ब्रिक्‍स में अमेरिका के खिलाफ बयानबाजी को शामिल होने से रोकता है या नहीं। पीएम मोदी ने ब्रिक्‍स में दिए अपने बयान से किसी को निशाना नहीं बनाया। पुतिन ने भी कहा कि चुनौतियों की जटिलता और अंतरराष्‍ट्रीय समुदाय के सामने मौजूद खतरों को देखते हुए हमें एक सामूहिक सुरक्षा की जरूरत है। ब्रिक्‍स इन प्रयासों में एक सार्थक योगदान दे सकता है। चीन के राष्‍ट्रपति ने ब्रिक्‍स देशों से सीधी अपील की कि वे कोल्‍ड वार के दौर की मानसिकता के दबाव में न आएं।

विशेषज्ञों का कहना है कि ब्रिक्‍स सम्‍मेलन चीन हावी नहीं रहा और रूस ने एक विशेष स्‍थान हासिल किया। ब्रिक्‍स भले ही अमेरिका की प्रभुता को चुनौती देता हो लेकिन शिखर बैठक में अमेरिका के खिलाफ कोई विद्वेष नहीं दिखाया गया। रूस की कोशिश एक बहुध्रुवीय विश्‍व बनाने की है जिसे ब्रिक्‍स के जरिए वह बढ़ा रहा है। वर्तमान समय में चीन ब्रिक्‍स का अध्‍यक्ष है और ऐसी अपेक्षा है कि वह कई बड़े कदम इस संगठन के लिए उठाएगा। ब्रिक्‍स बैंक का मुख्‍यालय शंघाई में बनकर तैयार हो गया है। चीन इसके जरिए अपने बेल्‍ट एंड रोड परियोजना को बढ़ाएगा ऐसे में अब भारत को ब्रिक्‍स में अपना गंभीरतापूर्वक आकलन करना होगा और नए शीतयुद्ध की शर्तों के दौर में आंतरिक संतुलन को देखना होगा। चीन के अध्‍यक्षता के दौर में ब्रिक्‍स प्‍लस बनाने की बात हो रही है। ईरान और आर्जेंटीना ने इसमें शामिल होने के लिए आवेदन भी दिया है।

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Sushama Chauhan

सुषमा चौहान, हिमाचल प्रदेश के विभिन्न प्रिंट,ईलेक्ट्रोनिक सहित सोशल मीडिया पर सक्रीय है! विभिन्न संस्थानों के साथ सुषमा चौहान "अखण्ड भारत" सोशल मीडिया पर मोजूदा वक्त में सक्रियता निभा रही है !