HomeOnline Quizस्वास्थ्यशिक्षा/नौकरीराजनीतिसंपादकीयबायोग्राफीखेल-कूदमनोरंजनराशिफल/ज्योतिषआर्थिकसाहित्यदेश/विदेश

प्रतिदिन एकत्रित होगा 50 से 60 हजार लीटर पानी, फोरलेन की सुरंगों से रिसने वाले पानी से तर होंगे खेत

By अखण्ड भारत

Published on:

Summary

50 to 60 thousand liters of water will be collected daily, the fields will be filled with water seeping from the tunnels of the forelane

विस्तार से पढ़ें:

सीमेंट के स्टोरेज टैंक बनाए जाएंगे, सुरंग से पानी को पाइपलाइन के माध्यम से स्टोरेज टैंक तक पहुंचाया जाएगा, इसका इस्तेमाल पेयजल, कृषि और अन्य गतिविधियों के लिए किया जाएगा

हिमाचल: राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण हाइवे निर्माण के साथ प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में खेतों की सिंचाई के साथ पानी की किल्लत भी दूर करेगा। फोरलेन निर्माण के दौरान पहाड़ों में बनीं सुरंगों में रिसने वाले पानी को एकत्रित किया जाएगा। टनलों के बाहर सीमेंट के स्टोरेज टैंक बनाए जाएंगे। सुरंग से पानी को पाइपलाइन के माध्यम से स्टोरेज टैंक तक पहुंचाया जाएगा। इसका इस्तेमाल पेयजल, कृषि और अन्य गतिविधियों के लिए किया जाएगा। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल किल्लत भी दूर होगी। एनएचएआई सुरंगों से रिसने वाले पानी के भंडारण की इस अनूठी तकनीक को पहली बार हिमाचल में इस्तेमाल कर रहा है।

किरतपुर-मनाली हाइवे पर नेरचौक और पंडोह के बीच नेला सुरंग में इस तकनीक का सफल प्रयोग हो चुका है। अब सूबे में चल रहीं सात परियोजनाओं में करीब 35 सुरंगों में इसका इस्तेमाल होगा। एनएचएआई अधिकारियों के मुताबिक 70 से 80 फीसदी सुरंगों में पानी का रिसाव होता है। हर सुरंग से करीब 50 से 60 हजार लीटर पानी प्रतिदिन एकत्रित किया जाएगा। इसके लिए संबंधित क्षेत्र की पंचायत से एक एमओयू साइन किया जाएगा। इधर, ड्रीम प्रोजेक्ट परवाणू-शिमला के कैथलीघाट-ढली खंड में फोरलेन परियोजना में पांच सुरंगों का निर्माण किया जा रहा है। इनमें पानी के भंडारण के लिए टैंकों का निर्माण किया जाएगा। 

इस तकनीक से एकत्रित होगा पानी, पानी हिमालय के शुद्ध खनिज पदार्थ से भरपूर

एनएचएआई के क्षेत्रीय अधिकारी अब्दुल बासित ने बताया कि बर्बाद होने वाले पानी को इकट्ठा कर इसका इस्तेमाल अन्य जरूरतों के लिए किया जाएगा। सरकार के साथ बातचीत कर संबंधित क्षेत्रों की पंचायतों के साथ एमओयू साइन कर पानी उपयोग के लिए दिया जाएगा। पानी हिमालय के शुद्ध खनिज पदार्थ से भरपूर होगा। हाइवे पर जब टनल निर्माण होता है तो चट्टानों में बीच-बीच पानी भरा होता है। यह रिसकर टनल के ऊपर आता है। इस पानी को इकट्ठा कर पाइपलाइन के माध्यम से स्टोरेज टैंक में एकत्रित किया जाएगा। इधर, एनएचएआई अध्यक्ष अलका उपाध्याय ने भी एनएचएआई शिमला की पहल की सराहना की और हरसंभव सहायता देने का आश्वासन दिया है।

अखण्ड भारत

Akhand Bharat is a group of dedicated media professionals to bring out the true news to the people. With modern technology, Akhand Bharat digital channel is reaching directly to the people of India and worldwide.We have a huge reader base for digital paper, and the magazine as well as a rapidly growing follower base on all social media platforms i.e. Twitter, YouTube, Facebook, Instagram, etc. who are accessing news content online.