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10 फरवरी : विश्व दलहन दिवस : क्यों मनाया जाता है दलहन दिवस, जानिए इस साल का थीम और इतिहास

By Sandhya Kashyap

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विश्व दलहन दिवस का इतिहास

संयुक्त राष्ट्र की महासभा द्वारा 20 दिसंबर 2013 में प्रस्ताव से अंतरराष्ट्रीय दलहन दिवस मनाने का निर्णय लिया गया। ‘अंतर्राष्ट्रीय दलहन दिवस’ पहली बार साल 2016 में मनाया गया था। बाद में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 10 फरवरी 2019 को विश्व दाल दिवस के रूप में मनाने के लिए प्रस्ताव पारित किया था। जिसके बाद से 10 फरवरी को दाल दिवस मनाते है।.

हर साल विश्व दलहन दिवस यानी दालों का दिन 10 फरवरी को मनाया जाता है। इस दिवस की शुरुआत वैश्विक स्तर पर दालों के महत्व और उसकी माध्यम से प्राप्त होने वाले पोषक तत्वों को ध्यान में रखते हुए की गई थी। दालों का प्रयोग न केवल पोषण प्राप्त करने के लिए किया जाता है बल्कि इसके माध्यम से भुखमरी और गरीबी को मिटाने में भी सहायता मिल रही है।

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दालें सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि विदेशों में भी खानपान का जरूरी हिस्सा हैं। वेजिटेरियनस के लिए तो दालें ही प्रोटीन का सबसे बड़ा स्त्रोत हैं। विश्व दलहन दिवस स्थायी खाद्य उत्पादन के हिस्से के रूप में दालों के पोषण और पर्यावरणीय लाभों के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए मनाया जाता है।

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विश्व दलहन दिवस 2024 की थीम
वर्ष 2016 में जब दलहन के लिए अंतरराष्ट्रीय वर्ष मनाया गया था, तब इसके लिए एक थीम का चुनाव किया गया था और तभी से इस दिन को हर साल एक नई थीम के साथ मनाया जा रहा है। इस साल 2024 में विश्व दलहन दिवस की थीम “दालें: पौष्टिक मिट्टी और लोगों” (Pulses: nourishing soils and people) रखी गई है। इस थीम का मतलब होता हैं स्वस्थ मिट्टी और लोगों की कुंजी के रूप में दालों के बारे में जागरूकता बढ़ाना।

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विश्व दलहन दिवस मनाने का उद्देश्य
संयुक्त राष्ट्र संघ दालों का उत्पादन बढ़ाकर दुनिया में गरीब कुपोषित देशों को पोषक तत्वों से भरपूर खाना उपलब्ध करवाना चाहता है। क्योंकि दालों में भरपूर मात्रा में पोषक तत्व पाए जाते है।