उतरप्रदेश: ज्ञानवापी परिसर में व्यासजी के अलावा भी कई और तहखाने हैं। इसका खुलासा भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की टीम ने अपनी रिपोर्ट में किया है। ग्राउंड पेनिट्रेटिंग रडार (जीपीआर) तकनीक से हुए सर्वे में परिसर में छह तहखाने खुले पाए गए हैं। यहां एएसआई की टीम भी पहुंची थी। चार और तहखानों की पुष्टि हुई है। सर्वे रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया है कि दक्षिण में जो तहखाने हैं, उनमें हिन्दू धर्म से जुड़े प्रतीक चिन्ह मिले हैं। ऐसे ही उत्तर में भी तहखाना मौजूद है, जो दिखाई नहीं दे रहा।
जीपीआर सर्वे की रिपोर्ट में बताया गया कि चबूतरे के नीचे प्लेटफार्म क्षेत्र में तहखानों की छत है। इसका ऊपरी हिस्सा खुला है, मगर नीचे की परत मलबे से भरी है। मलबा भरकर इसे बंद किया गया है। मंच के दक्षिण-पश्चिमी हिस्से में कई खोखले या आंशिक रूप से भरे हुए तीन मीटर चौड़े तहखाने हैं। नौ वर्गमीटर आकार के कमरे हैं, जिनकी दीवारें एक मीटर चौड़ी हैं। दक्षिणी दीवार की ओर खुले स्थान हैं, जिन्हें अब सील कर दिया गया है, क्योंकि जीपीआर सिग्नलों में 1-2 मीटर चौड़े अलग-अलग पैच देखे गए हैं। तहखाने के उत्तर की ओर खुले कार्यात्मक दरवाजे हैं।
पूर्वी हिस्से में 2 मीटर चौड़ाई के 3 से 4 तहखाने हैं। पूर्वी दीवार की मोटाई अलग-अलग है। गलियारे क्षेत्र से सटे, मंच के पश्चिमी किनारे पर 3 से 4 मीटर चौड़े तहखाने की दो पंक्तियां देखी गईं हैं। तहखाने के भीतर छिपे हुए कुएं दो मीटर चौड़ा है। दक्षिणी तरफ एक अतिरिक्त कुएं के निशान मिले हैं। रिपोर्ट में बताया गया कि तहखाने की दीवारों की जीपीआर स्कैनिंग से छिपे हुए कुएं और गलियारे के अस्तित्व का भी पता चलता है। जीपीआर में दिखाया गया कि दक्षिणी तहखाने का दरवाजा एक दीवार से ढका हुआ है।
एएसआई ने सर्वे के दौरान सफाई, लेबलिंग, वर्गीकरण, नाजुक खराब वस्तुओं का परीक्षण किया था। इसके लिए ज्ञानवापी परिसर में ही एक क्षेत्रीय प्रयोगशाला स्थापित की थी। इसमें धातु सहित अन्य सामग्रियों की जांच में मदद मिली थी।