हर ज़रूरतमंद के चेहरे पर मुस्कान लाना, हर बेसहारा को सहारा देना—यही मेरे जीवन की सच्ची आराधना है। इन वर्षों ने सिखाया है कि अगर मन में सेवा का जज़्बा हो, तो संसाधनों की कमी भी संकल्प को नहीं रोक सकती। बच्चों की शिक्षा हो या बुजुर्गों की देखभाल, हर कार्य को मैंने अपना कर्तव्य नहीं, अपना धर्म समझकर निभाया है।

आज जब पीछे मुड़कर देखता हूं, तो आत्मा को संतोष होता है कि मैंने इंसानियत की राह में कुछ योगदान दिया। श्री सत्य साईं मानव सेवा ट्रस्ट के माध्यम से मैं कुराली, मोहाली स्थित नि:शुल्क अस्पताल में भी अपनी सेवाएं देकर जरूरतमंदों की सेवा करने का सौभाग्य प्राप्त कर रहा हूं।
मगर यह यात्रा अभी अधूरी है… क्योंकि जब तक एक भी व्यक्ति तकलीफ में है, मेरा कर्म और मेरी सेवा जारी रहेगी।
‘मन की बात’ के इस मंच से मैं युवाओं से बस इतना कहना चाहता हूं—
आइए, मिलकर एक ऐसा भारत बनाएं,
जहां सेवा सिर्फ काम नहीं, संस्कार हो।
सतीश गर्ग, समाजसेवी