अखण्ड भारत डेस्क:
चार पहर पूजा पूर्ण होने के बाद हवन विधिपूर्वक पूर्ण हो गया तो दीप प्रज्ज्वलित कर शिवरात्री पर्व के दूसरे दिन कार्यक्रम का आगाज हुआ, महादेव मन्दिर गिरनोल में महाशिवरात्रि पर्व पर समूचे क्षेत्र, प्रदेश देश से पुन्य आत्माएं पहुच रही है लोगों का हुजूम लगा हुआ है, आशीर्वाद लेने के लिए श्रधालु कतारों में खड़े है हरकोई भगवान भोलेनाथ के दर्शनों को लालालित नजर आ रहा है! इससे पहले बतोर मुख्यअतिथि हरिद्वार के रुड़की से नरेश चंद शर्मा, रवि शंकर शर्मा, संजीव शर्मा कार्यक्रम में पहुचे तथा दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का आगाज किया है!
सत्य ही शिव हैं, शिव ही सुंदर है। इसलिए भगवान आशुतोष को सत्यम शिवम सुंदर कहा जाता है। भगवान शिव की महिमा अपरंपार है। भोलेनाथ को प्रसन्न करने का ही महापर्व है…शिवरात्रि…जिसे त्रयोदशी तिथि, फाल्गुण मास, कृष्ण पक्ष की तिथि को प्रत्येक वर्ष मनाया जाता है। महाशिवरात्रि पर्व की विशेषता है कि सनातन धर्म के सभी प्रेमी इस त्योहार को मनाते हैं।
महाशिवरात्रि का आध्यात्मिक महत्व
यौगिक परंपराओं के अनुसार महाशिवरात्रि का विशेष महत्व है, आध्यात्मिक आत्माओं के लिए कई संभावनाएँ मौजूद हैं। आधुनिक विज्ञान अनेक चरणों से होते हुए, उस बिंदु पर आ गया है, जहाँ कई दिए गए है कि आप जिसे जीवन के रूप में जानते हैं, पदार्थ और अस्तित्व के रूप में जानते हैं, ब्रह्माण्ड और तारामंडल के रूप में जानते हैं; वह सब केवल एक तरह की ऊर्जा है, जो स्वयं को लाखों-करोड़ों रूपों में प्रकट करती है। यह वैज्ञानिक तथ्य प्रत्येक योगी के लिए एक अनुभव से उपजा सत्य है। ‘योगी’ शब्द से तात्पर्य उस व्यक्ति से है, जिसने अस्तित्व की एकात्मकता को जान लिया है। महाशिवारात्रि की रात, व्यक्ति को इसी का अनुभव पाने का अवसर देती है।
महाशिवरात्रि के दिन भक्त जप, तप, व्रत रखते हैं, इस दिन भगवान के शिवलिंग रूप में दर्शन करते हैं। पवित्र दिन पर देश के हर हिस्सों में शिवालयों में बेलपत्र, धतूरा, दूध, दही, शर्करा से भगवान शिव का का अभिषेक किया जाता है। देशभर में महाशिवरात्रि महोत्सव के रुप में मनाया जाता है क्योंकि इस दिन देवों के देव महादेव का विवाह हुआ था।
हिंदू धर्म शास्त्रों अनुसार महाशिवरात्रि का व्रत करने वाली आत्माओं को मोक्ष प्राप्ति होती है। पृथ्वी में रहते हुए प्राणियों का कल्याण करने वाला व्रत है महाशिवरात्रि। व्रत को रखने से सभी दुखों, पीड़ाओं का अंत वह मनोकामनाएं पूर्ण होती है। शिव की साधना से धन-धान्य, सुख-सौभाग्य, समृद्धि की कमी कभी नहीं होती। महाशिवरात्रि व्रत भक्ति, भाव से स्वत: के लिए तो करना ही चाहिए लेकिन विश्व कल्याण के लिए भगवान आशुतोष की आराधना भी करनी चाहिए।
मनसा…वाचा…कर्मणा से हमें शिव की आराधना करनी चाहिए। भगवान भोलेनाथ..नीलकण्ठ हैं, विश्वनाथ है। हिंदू धर्म शास्त्रों में प्रदोषकाल यानि सूर्यास्त होने के बाद रात्रि होने के मध्य की अवधि, मतलब सूर्यास्त होने के बाद के 2 घंटे 24 मिनट की अवधि प्रदोष काल कहलाती है। इसी समय भगवान आशुतोष प्रसन्न मुद्रा में नृत्य करते है। इसी समय सर्वजनप्रिय भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। यही वजह है, कि प्रदोषकाल में शिव पूजा या शिवरात्रि में औघड़दानी भगवान शिव का जागरण करना विशेष कल्याणकारी कहा गया है। सनातन धर्म में 12 ज्योतिर्लिंग का वर्णन है। कहा जाता है कि प्रदोष काल में महाशिवरात्रि तिथि में ही सभी ज्योतिर्लिंग का प्रादुर्भाव हुआ था।