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महिलाओं की आजीविका का साधन बनेंगे बुरास के जंगल

By Kanwar Thakur

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ग्रामीण विकास विभाग द्वारा दे रहा है रोडो स्क्वैश व जैम संबंधी प्रशिक्षण 

नैनिका ठाकुर हरिपुरधार:

जिला के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में सैकड़ों हेक्टेयर भूमि पर फैले रोडोडेंड्रोन के जंगल महिलाओं की आजीविका का साधन बनेंगे। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत विकास खंड संगड़ाह में गठित स्वयं सहायता समूह को विभाग द्वारा रोडू स्क्वैश तथा जैम आदि बनाने संबंधी प्रशिक्षण दिए जा रहे हैं। ग्रामीण विकास विभाग द्वारा सोमवार को जहां तहसील नोहराधार के घंडूरी पंचायत में महिलाओं को बुरास के जूस, स्क्वैश व जैम आदि बनाने का प्रशिक्षण दिया गया, वहीं कल बुधवार को भवाई तथा 19 मार्च को संगड़ाह में स्वयं सहायता समूह को रोडो प्रोडक्ट संबंधी ट्रेनिंग दी जाएगी।

महिलाओं की आजीविका का साधन बनेंगे बुरास के जंगल

फ्रूट एंड टेक्नोलॉजी संस्थान धौला कुआं के लैब टेक्नीशियन जसपाल सिंह द्वारा बतौर मूल स्रोत व्यक्ति महिलाओं को बुरास के उत्पाद तैयार करने संबंधी प्रशिक्षण दिया जा रहा है। पंचायत समिति संगड़ाह के अध्यक्ष मेलाराम शर्मा द्वारा यहां रोडोडेंड्रोन प्रोडक्ट्स संबंधी उद्योग लगाए जाने की मांग हिमाचल सरकार से की गई थी। खंड विकास अधिकारी संगड़ाह सुभाष चंद अत्री ने बताया कि, पहले चरण में विकासखंड में तीन जगह पर महिलाओं को रोडो प्रोडक्ट संबंधी ट्रेनिंग करवाई जाएगी। उन्होंने कहा कि, महिलाएं बुरास से तैयार होने वाले उत्पादों को सहायता समूह के माध्यम से विभिन्न मेलों तथा प्रदर्शनियों में बेच सकगी।

महिलाओं की आजीविका का साधन बनेंगे बुरास के जंगल

महिलाओं को दो तरह से घरेलू विधि से रोडो प्रोडक्ट तैयार करने संबंधी ट्रेनिंग दी जा रही है। गौरतलब है कि, बुरास के जूस को खून, पेट, हृदय रोग तथा त्वचा संबंधी बीमारियों की आयुर्वेदिक दवा समझा जाता है। बहरहाल संगड़ाह की महिलाएं जल्द रोडो प्रोडक्ट से कमाई कर आत्मनिर्भर बनेगी।

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