एक युवा है जो कराची की एक मस्जिद से नमाज अदा कर आ रहा था। अचानक से उसे एक आदमी पास वाली गली में बुलाता है। बुलाकर आदमी कहता है, “भैया, आप तो हिंदुस्तानी ब्राह्मण हो, यहाँ नमाज क्यों पढ़ रहे हो?” पहले वह युवा थोड़ा चौक जाता है। फिर वह बूढ़ा आदमी उसे कहता है, “आप चिंता ना करें। आपके और हमारे दोनों के काम एक ही हैं। मैं भी उसी मुल्क से आता हूं। मुझे भी RAW ने ही भेजा है।” दोनों थोड़े सहज होते हैं। कुछ देर बाद बूढ़ा आदमी उस युवा से वही प्रश्न फिर पूछता है। जवाब में वह युवा कहता है, “देश की सेवा कर रहा हूं। मेरे महादेव आशीर्वाद देंगे मुझे।” इस युवा ब्राह्मण का नाम है अजीत डोभाल, जिन्होंने 7 साल पाकिस्तान में रहकर भारत के लिए जासूसी की थी।
अजीत डोभाल का जीवन किसी फिल्मी कहानी से कम रोमांचक नहीं है। अजीत डोभाल का जन्म 20 जनवरी 1945 को उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले के घिरसैं गाँव में हुआ था। एक सैन्य परिवार में जन्मे डोभाल की शिक्षा अजमेर मिलिट्री स्कूल से हुई और आगे की पढ़ाई उन्होंने आगरा विश्वविद्यालय से की, जहाँ से उन्होंने अर्थशास्त्र में मास्टर की डिग्री प्राप्त की।
डोभाल का करियर भारतीय पुलिस सेवा (IPS) में 1968 में शुरू हुआ, जहाँ से उनके असाधारण कारनामों की शुरुआत हुई। प्रारंभ में केरल कैडर में सेवा करते हुए, उन्होंने अपनी बुद्धिमत्ता और बहादुरी का प्रदर्शन किया। जल्द ही उन्हें इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) में स्थानांतरित कर दिया गया, जहाँ उन्होंने विभिन्न गुप्त ऑपरेशनों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
उनके सबसे चर्चित मिशनों में से एक 1980 के दशक में मिजोरम विद्रोहियों के खिलाफ था। उन्होंने विद्रोहियों के बीच छह साल तक गुप्त एजेंट के रूप में रहकर उनके विश्वास को जीतने और अंततः भारतीय सरकार के साथ बातचीत की स्थिति बनाने में सफलता प्राप्त की। उनके इस साहसिक कार्य ने उन्हें अद्वितीय खुफिया अधिकारी के रूप में स्थापित कर दिया।
डोभाल की सबसे उल्लेखनीय उपलब्धियों में से एक 1984 का ऑपरेशन ब्लू स्टार भी है, जिसमें उन्होंने स्वर्ण मंदिर में फंसे आतंकवादियों के खिलाफ ऑपरेशन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसके अलावा, 1999 के कंधार विमान अपहरण मामले में भी उन्होंने प्रमुख भूमिका निभाई, जब उन्होंने अपहृत विमान के यात्रियों को सुरक्षित वापस लाने के लिए तालिबान से बातचीत की।
2004 में डोभाल ने IB के निदेशक का पद संभाला और 2005 में सेवानिवृत्त हुए। लेकिन उनकी सेवा यहीं समाप्त नहीं हुई। 2014 में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) नियुक्त किया। इस पद पर रहते हुए, डोभाल ने उरी और पुलवामा आतंकी हमलों के बाद पाकिस्तान पर सर्जिकल स्ट्राइक और बालाकोट एयरस्ट्राइक जैसे निर्णायक कदमों में अहम भूमिका निभाई।
डोभाल का जीवन भारतीय सुरक्षा और खुफिया क्षेत्र में उत्कृष्टता का प्रतीक है। उनकी कहानी न केवल प्रेरणादायक है, बल्कि यह देश के प्रति समर्पण और सेवा का जीवंत उदाहरण भी प्रस्तुत करती है।