दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) को शराब घोटाले के मामले में जमानत मिल गई है। यह जमानत दिल्ली की राउस एवेन्यू कोर्ट की छुट्टी पर कार्यरत न्यायाधीश न्याया बिंदु ने गुरुवार को दी। केजरीवाल शुक्रवार को तिहाड़ जेल से रिहा होंगे, जिसके लिए उन्हें एक लाख रुपये का जमानत बांड भरना होगा। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने इस फैसले को दिल्ली उच्च न्यायालय में चुनौती देने की योजना बनाई है, जिसकी सुनवाई शुक्रवार को होगी।
कोर्ट के फैसले के बाद आम आदमी पार्टी (AAP) के समर्थक केजरीवाल के निवास स्थान पर इकट्ठा हुए और खुशी मनाते हुए पटाखे जलाए। केजरीवाल के वकील ने अदालत में तर्क दिया कि ED के पास उनके खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं है और यह मामला केवल उन गवाहों के बयानों पर आधारित है जिन्हें जमानत और माफी देने का वादा किया गया है। ED ने जमानत पर 48 घंटे की रोक लगाने की मांग की थी, जिसे अदालत ने खारिज कर दिया। AAP के विधायक दिलीप पांडे ने इस फैसले को सच्चाई की जीत बताते हुए कहा कि यह मामला झूठा है और इसे साजिश के तहत बनाया गया है। केजरीवाल के वकील ने तेलंगाना के एक समूह, जिसे ‘साउदर्न ग्रुप’ कहा जा रहा है, द्वारा दिल्ली में शराब लाइसेंस प्राप्त करने के लिए साजिश रचने के दावे को खारिज किया और कहा कि 100 करोड़ रुपये के लेनदेन का कोई सबूत नहीं है।
केजरीवाल को ED ने 21 मार्च को गिरफ्तार किया था, लेकिन जेल से ही उन्होंने मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी निभाई। उन्हें पहले चुनाव प्रचार के लिए अंतरिम जमानत दी गई थी, लेकिन 2 जून को उन्हें फिर से जेल भेज दिया गया। ED का आरोप है कि दिल्ली के 2021-22 के शराब नीति के मसौदे में भ्रष्टाचार हुआ था, जिसे बाद में रद्द कर दिया गया था।
यह मामला तब उठा जब दिल्ली की शराब नीति को लेकर सवाल उठने लगे। ED का दावा है कि नीति के मसौदे में बदलाव करके कुछ शराब कंपनियों को फायदा पहुंचाया गया। इस घोटाले में तेलंगाना के ‘साउदर्न ग्रुप’ का भी नाम सामने आया, जिन पर आरोप है कि उन्होंने दिल्ली में शराब लाइसेंस प्राप्त करने के लिए रिश्वत दी।
केजरीवाल के वकील ने इन सभी आरोपों को निराधार बताया और कहा कि यह एक राजनीतिक षड्यंत्र है। उन्होंने यह भी कहा कि ED के पास कोई ठोस सबूत नहीं है और केवल गवाहों के बयानों पर मामला आधारित है, जिन्हें जमानत और माफी का वादा किया गया है।
इस मामले में अभी और भी कई मोड़ आ सकते हैं क्योंकि ED ने अदालत के फैसले को चुनौती देने की योजना बनाई है। अब देखना यह है कि उच्च न्यायालय में ED की चुनौती पर क्या फैसला आता है।
फिलहाल, केजरीवाल की जमानत के बाद आम आदमी पार्टी के समर्थक और नेता इसे सच्चाई की जीत मान रहे हैं और न्यायपालिका पर अपना विश्वास जता रहे हैं।