ईरान पर हमला या राजनीतिक ड्रामा ? अमेरिकी साख पर उठे सवाल 

By Sandhya Kashyap

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वही रिपोर्ट अब अमेरिका की साख को हिला रही है। राष्ट्रपति ट्रंप कह चुके थे ईरान अब दशकों पीछे चला गया है। नेतन्याऊ जश्न में झूम उठे थे, कहा हमारा मिशन पूरा हुआ। लेकिन अब अमेरिका के भीतर ही सवाल खड़े हो रहे हैं। क्या ये बमबारी सिर्फ एक राजनीतिक ड्रामा थी या राष्ट्रपति की बातें सच्चाई से कोसों दूर थी?

आज जो रिपोर्ट सामने आई है वो इस पूरे युद्ध की तस्वीर को उलट देती है।पैटागन के शीर्ष अधिकारियों ने 48 घंटे पहले कहा था, तीन परमाणु ठिकानों पर हमला हुआ। फ़ोर्डो नतांज और इस वाहन को हमने तहस नहस कर दिया। सटीक निशाना जबरदस्त स्ट्राइक लेकिन आज पैटागन की खुफिया रिपोर्ट कुछ और ही कह रही है।

इस रिपोर्ट में बताया गया कि ज्यादातर सेंट्रीफ्यूज सुरक्षित है। धमाके ऊपर की इमारतों तक सीमित रहे भूमिगत ठिकाने राष्ट्रपति ट्रंप ने दावा किया, हमने जीपी यु 57 बम गिराए जो जमीन के का 61 मीटर नीचे जाकर।विस्फोट करते हैं, लेकिन रिपोर्ट कहती है सिर्फ सतह पर नुकसान हुआ। मुख्य दरवाजे बंद कर दिए गए थे। अंदर का सिस्टम बच गया।

पैटागन की ही रिपोर्ट मानती है कि का नुकसान कुछ महीनों का है, दर्शकों का नहीं।जैसा ट्रंप ने दावा किया और दूसरी ओर ईरान तेहरान की सड़कों पर जश्न मना रहा है। इस्लामिक रेवोल्यूशन के बाद शायद पहली बार इतनी व्यापक एकता देखी गई। क्यों?

क्योंकि हमला हुआ लेकिन साजो सामान बचा रहा। यूरेनियम पहले ही दूसरी जगह शिफ्ट कर दिया गया। अराक बौनेहा बुशहर मरिवान इन जगहों पर अब परमाणु रिसर्च तेज कर दिया गया है। अब अमेरिका में बहस छिड़ गई है। सीएन एन और न्यू यॉर्क टाइम्स ने रिपोर्ट दिखा दी।

जवाब में राष्ट्रपति ट्रंप ने उन्हें फेक न्यूस बता दिया। लेकिन संसद में सवाल है जब पेटागन ही कह रहा है कि नुकसान सीमित है तो फिर राष्ट्रपति क्या छुपा रहे हैं?

कीनेटरस ने इमपीचमेंट की बात तक कर दी है।तुलसी गेबाड़ की बात को तो नकार दिया गया। जबकि उन्होंने पहले ही चेताया था कि ईरान के पास अक्टिव परमाणु हथियार नहीं है और ये सवाल अब अमेरिका की सीमाओं से बाहर निकल कर नाटो और एससी ओह जैसे मंचो पर पहुँच चुका है। हैग?

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