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अमेरिकी संस्था फ्रीडम हाउस की निष्पक्षता पर सवाल, कोरोना संक्रमण के दोरान भारत ने विश्व से बेहतर सुविधाएँ देशवासियों को उपलब्ध करवाई है

By अखण्ड भारत

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फ्रीडम हाउस अमेरिकी संस्था, विश्व के लोकतंत्र एवं अभिव्यक्ति के आजादी की रेटिंग करता है साथ ही देश का लोकतंत्र कैसा है अभिव्यक्ति की आजादी कितनी व किस प्रकार की है इसको निश्चित करता है। फ्रीडम हाउस संस्था को कुछ देश फंडिंग करवाते हैं जिनमे अमेरिका भी शामिल है, अमेरिका ...

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फ्रीडम हाउस अमेरिकी संस्था, विश्व के लोकतंत्र एवं अभिव्यक्ति के आजादी की रेटिंग करता है साथ ही देश का लोकतंत्र कैसा है अभिव्यक्ति की आजादी कितनी व किस प्रकार की है इसको निश्चित करता है। फ्रीडम हाउस संस्था को कुछ देश फंडिंग करवाते हैं जिनमे अमेरिका भी शामिल है, अमेरिका फ्रीडम हाउस संस्था को लगभग 83% फंडिंग करता है या यूँ कहें कि अमेरिका ही फ्रीडम हाउस संस्था को सबसे ज्यादा धनराशि उपलब्ध करवाता है।

फ्रीडम हाउस संस्था ने विश्व में अन्य देशों के मुकाबले लोकतंत्र एवं अभिव्यक्ति के आजादी की रेटिंग में मुश्किल से भारत को 33 प्रतिशत अंक दिए हैं, जबकि अमेरिका को 87 प्रतिशत अंको पर दर्शाया जा रहा है इसलिए अमेरिका फ्रीडम हाउस संस्था के मुताबिक विश्व में सबसे ऊचें पायदान पर नजर आ रहा है। भारत को कम अंक देने पर संस्था का तर्क है कि भारत ने वैश्विक महामारी कोविड-19 के दौरान लोगों का उचित ख्याल नहीं रखा है। लॉकडाउन के दौरान भारत ने अन्य प्रांतों में रह रहे मजदूरों तथा कामगरों के घर पहुंचाने सबंधी उचित यातायात सुविधा उपलब्ध नहीं करवा पाया है, भोजन संबंधी सुविधाएं मुहैया करवाने में उचित कदम नहीं उठाए हैं। जिसे फ्रीडम हाउस संस्था की मनमानी कहा जाए तो गलत न होगा!

फ्रीडम हाउस संस्था ने आपातकाल स्तिथि के दोरान भारत को रेटिंग कम दी है इससे कोई अपसोस नही है, इसे अभिव्यक्ति की आजादी कहा जा सकता है भारतीय संविधान के अनुसार हर व्यक्ति को अपने विचार प्रकट करने के मौलिक अधिकार प्राप्त है, भारत सरकार ने लॉकडाउन के दौरान विभिन्न प्रांतों से घर वापसी आने वाले सभी कामगारों, मजदूरों के लिए सभी प्रकार की यातायात सुविधा उपलब्ध करवाई है तथा उनके भोजन संबंधी खानपान का भी उचित प्रबंध करवाया गया था। इसका खाका सरकार के खजाने व रातदिन देश हित में कार्य कर रहे मुख्यतः पत्रकार, डाक्टर, पुलिस सहित सभी व संस्थाएं है जिन्होंने अपनी जिन्दगी की परवाह न करते हुए देश को मुश्किल घड़ी में कंधा दिया है इतना जरुर है कि विपक्षी पार्टियां यह भूल जाती है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सत्ता पक्ष के ही नहीं बल्कि विपक्ष के भी प्रधानमंत्री है।

कोरोना संक्रमण की बात करें तो भारत में 135 करोड़ की आबादी में लगभग 1 लाख 50,000 मौतें हुई है जबकि अमेरिका में 5:15 लाख व्यक्तियों की मौत हो चुकी है। आबादी की दृष्टि से भारत से कई गुना अधिक मौतें अमेरिका में हुई है। जबकि अमेरिका, भारत से कही अधिक स्वास्थ्य सुविधाओं में सक्षम देश माना जाता है, भारत में कोरोना संक्रमण से केवल वही व्यक्ति मरे है जिनको कोई अन्य डिजीज पहले से थी और फिर कोरोना संक्रमण भी हुवा हो, लेकिन अमेरिका में केवल कोरोना संक्रमण फेलने से लाखो लोगों की मौत हो गई है फिर संक्रमण से लड़ने के लिए कोन कितना सक्षम है विश्लेषण में स्वत: ही फ्रीडम हाउस संस्था की रेटिंग लिस्ट तथाकथित नजर आने लगेगी!

फ्रीडम हाउस संस्था की गुस्ताखी देखे तो जम्मू कश्मीर को संस्था ने भारत के नक्शे में नहीं दिखाया है, जम्मू कश्मीर को आजाद कश्मीर भी नहीं बताया है बल्कि एक अलग देश दिखाया गया है भारत के लोकतंत्र एवं अभिव्यक्ति की आजादी पर तरह-तरह के सवाल खड़े किए हैं, सच्चाई यही है कि अन्य देशों के मुकाबले भारत का लोकतंत्र सबसे ज्यादा मजबूत है और रहेगा इसके लिए किसी संस्था, विपक्ष या दुश्मन द्वारा जारी लिस्ट की जरूरत नही है!

अमेरिकी संस्था फ्रीडम हाउस की निष्पक्षता पर सवाल, कोरोना संक्रमण के दोरान भारत ने विश्व से बेहतर सुविधाएँ देशवासियों को उपलब्ध करवाई है
बीएम शर्मा, सेवानिवृत कनिष्ट अभियंता (जलशक्ति विभाग, हिमाचल प्रदेश )

लेखक: बीएम शर्मा, जलशक्ति विभाग से सेवानिवृत कनिष्ट अभियंता है!

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