बुधवार को अभिषेक मनु सिंघवी को कांग्रेस हाईकमान ने हिमाचल से राज्यसभा के लिए प्रत्याशी बनाया है। राज्यसभा में हिमाचल प्रदेश से जाने वाले कांग्रेस प्रत्याशी को लेकर स्थिति साफ हो गई है। इस संबंध में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे की ओर से मंजूरी दी गई है। 15 फरवरी को शाम 5:00 बजे तक राज्यसभा चुनाव के लिए राज्य विधानसभा में नामांकन पत्र दाखिल होने हैं।
राज्यसभा में राजस्थान से सोनिया गांधी नामांकन पत्र दाखिल करेंगी, जबकि बिहार से अखिलेश प्रसाद व महाराष्ट्र से चंद्रकांत हंडोरे कांग्रेस के प्रत्याशी होंगे। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव केसी वेणुगोपाल ने प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से जानकारी दी है।
कौन हैं अभिषेक मनु सिंघवी
अभिषेक मनु सिंघवी कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता हैं। वर्तमान में वह पश्चिम बंगाल से राज्यसभा सदस्य हैं। सिंघवी तीन बार सांसद रहे हैं। वह देश के सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ताओं में से एक हैं। सिंघवी का जन्म एक मारवाड़ी परिवार में 24 फरवरी 1959 को हुआ। उनके पिता लक्ष्मी मल्ल सिंघवी जैन इतिहास और संस्कृति के विद्वान थे। वह एक प्रसिद्ध वकील और ब्रिटेन में भारत के पूर्व उच्चायुक्त रहे। वे राज्यसभा में (1998-2004) के लिए चुने गए। उनकी माता का नाम कमला सिंघवी हैं।
सिंघवी 37 साल की उम्र में 1997 में भारत के सबसे कम उम्र के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल बन और 1998 तक एक वर्ष तक इस पद पर रहे। वह 2001 से कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता हैं। अप्रैल 2006 को राज्यसभा के लिए चुने गए। अगस्त 2006- मई 2009 और अगस्त 2009- जुलाई 2011 तक सदस्य, कार्मिक, लोक शिकायत, कानून और न्याय समिति रहे। अगस्त 2006 से 2007 विभिन्न मंत्रालयों में सदस्य रहे। सितंबर 2006 से सितंबर 2010 सिंघवी विशेषाधिकार समिति के सदस्य रहे। जुलाई 2010 से विदेश मंत्रालय की सलाहकार समिति के सदस्य, जुलाई 2011 से कार्मिक, लोक शिकायत, कानून और न्याय समिति, सामान्य प्रयोजन समिति के अध्यक्ष रहे।
राज्य सभा
राज्य सभा भारतीय संसद की ऊपरी प्रतिनिधि सभा है। लोकसभा निचली प्रतिनिधि सभा है। राज्यसभा में २४५ सदस्य होते हैं। जिनमे १२ सदस्य भारत के राष्ट्रपति के द्वारा नामांकित होते हैं। इन्हें ‘नामित सदस्य’ कहा जाता है। अन्य सदस्यों का चुनाव होता है। राज्यसभा में सदस्य ६ साल के लिए चुने जाते हैं, जिनमे एक-तिहाई सदस्य हर २ साल में सेवा-निवृत होते हैं।
किसी भी संघीय शासन में संघीय विधायिका का ऊपरी भाग संवैधानिक बाध्यता के चलते राज्य हितों की संघीय स्तर पर रक्षा करने वाला बनाया जाता है। इसी सिद्धांत के चलते राज्य सभा का गठन हुआ है। इसी कारण राज्य सभा को सदनों की समानता के रूप में देखा जाता है जिसका गठन ही संसद के द्वितीय सदन के रूप में हुआ है। राज्यसभा का गठन एक पुनरीक्षण सदन के रूप में हुआ है जो लोकसभा द्वारा पास किये गये प्रस्तावों की पुनरीक्षा करे। यह मंत्रिपरिषद में विशेषज्ञों की कमी भी पूरी कर सकती है क्योंकि कम से कम 12 विशेषज्ञ तो इस में मनोनीत होते ही हैं। आपातकाल लगाने वाले सभी प्रस्ताव जो राष्ट्रपति के सामने जाते हैं, राज्य सभा द्वारा भी पास होने चाहिये। जुलाई 2018 से, राज्यसभा सांसद सदन में 22 भारतीय भाषाओं में भाषण कर सकते हैं क्योंकि ऊपरी सदन में सभी 22 भारतीय भाषाओं में एक साथ व्याख्या की सुविधा है।[5] राज्यसभा का पहला सत्र 13 मई 1952 को हुआ था। ttps://rb.gy/y2i0l2
यह भी पढ़े : राज्यसभा चुनाव के लिए किया उम्मीदवारों का एलान https://rb.gy/eifo2e