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प्रो. सिम्मी अग्निहोत्री को मंडी वासियों ने दी भावभीनी श्रद्धांजलि, हजारों की तादाद में उमड़े लोग, याद में छलके आंसू

By Sandhya Kashyap

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Summary

प्रो. सिम्मी का 9 फरवरी को हो गया था अकस्मात निधन मंडी, 17 मार्च : मंडी की लाडली बेटी, उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री की धर्मपत्नी प्रो. सिम्मी अग्निहोत्री की याद में रविवार को मंडी के भीमाकाली मंदिर परिसर में प्रार्थना सभा का आयोजन किया गया। इस मौके मुकेश अग्निहोत्री और ...

विस्तार से पढ़ें:

प्रो. सिम्मी का 9 फरवरी को हो गया था अकस्मात निधन

मंडी, 17 मार्च : मंडी की लाडली बेटी, उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री की धर्मपत्नी प्रो. सिम्मी अग्निहोत्री की याद में रविवार को मंडी के भीमाकाली मंदिर परिसर में प्रार्थना सभा का आयोजन किया गया। इस मौके मुकेश अग्निहोत्री और उनकी बेटी डॉ. आस्था अग्निहोत्री को ढांढस बंधाने, दुख की घड़ी में साथ होने का भाव लेकर हजारों की तादाद में उमड़े मंडी वासियों ने प्रो. सिम्मी को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। उनकी स्मृतियों के जिक्र पर वहां उपस्थित हर व्यक्ति की आंख डबडबाई रही। प्रो. सिम्मी के अपनत्व भरे व्यक्तित्व की याद में परिचितों के खूब आंसू छलके।

प्रो. सिम्मी अग्निहोत्री को मंडी वासियों ने दी भावभीनी श्रद्धांजलि, हजारों की तादाद में उमड़े लोग, याद में छलके आंसू

बता दें, मंडी शहर प्रो. सिम्मी का मायका था, उनके पिता का घर शहर के भगवाहन मोहल्ले में है। यहीं उनका बचपन बीता, वहीं युवा अवस्था के सपने बुने। बचपन की नादानियों से लेकर जीवन की शीर्ष सफलताओं तक मंडी और मंडी वासियों की अपनी लाडली बेटी प्रो. सिम्मी से जुड़ी अनेकों सुरभित स्मृतियां हैं। प्रो. सिम्मी का 9 फरवरी को अकस्मात निधन हो गया था। उनका अंतिम संस्कार उनके ससुराल हरोली के गोंदपुर जयचंद में किया गया था। 

प्रो. सिम्मी : जिंदगी लंबी नहीं बड़ी होनी चाहिए…*

प्रो. सिम्मी अग्निहोत्री ने अल्प अवधि में बड़ा जीवन जिया। वर्ष 1968 में मंडी शहर के भगवाहन मोेहल्ले में जन्मी सिम्मी बचपन से ही अध्ययनशील थीं। स्वभाव में चुलबुली सिम्मी पढ़ने में सबसे आगे रहती थीं। कुशाग्र बुद्धि सम्पन्न सिम्मी ने छोटी आयु में पीएचडी की पढ़ाई पूरी की और वर्ष 1996 में हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में पढ़ाने लगीं । 

बहुआयामी प्रतिभा की धनी प्रो. सिम्मी विद्यालय शिक्षा समेत विभिन्न क्षेत्रों में अपनी बहुआयामी प्रतिभा के सशक्त हस्ताक्षर दर्ज करवाती रहीं। खेलों में भागीदारी से लेकर गायन,नाटक और नृत्य की, हर विधा में अग्रणी रहना तथा हर किरदार उत्कृष्टता से जीना उनके व्यक्तित्व का हिस्सा था । सबसे मिलना-जुलना, खूब बातें करना और जिन्दगी को जिंदादिली से जीना, ये उनकी शख्सियत की पहचान थी।

*प्रो.सिम्मी विद्यार्थियों की चहेती, उत्कृष्ट शिक्षाविद थीं *

उत्कृष्ट शिक्षाविद प्रो. सिम्मी अग्निहोत्री विद्यार्थियों की चहेती थीं। उनके मार्गदर्शन में 50 से अधिक विद्यार्थियों ने एमफिल-पीएचडी शोध किए। प्रो. सिम्मी को उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए बेस्ट टीचर अवार्ड, वूमन अचीवर अवॉर्ड एवं नारी शक्ति अवार्ड से भी नवाजा गया था । उनकी लिखी एक पुस्तक का विमोचन गत दिनों प्रदेश के माननीय राज्यपाल के करकमलों से सम्पन्न हुआ था। 

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*सामाजिक सरोकार की परोकार*

प्रो. सिम्मी अग्निहोत्री समाज सेवा के कार्य में भी लगातार सक्रिय थीं । वे आस्था फाउंडेशन के नाम से एक एनजीओ का संचालन कर रही थीं । इसके माध्यम से वे नशे के खिलाफ आंदोलन, सड़क सुरक्षा अभियान समेत हर सामाजिक कार्य आगे बढ़कर योगदान देती रहीं।

*इरादों की अटल…पति की जीत पर हर बार नंगे पांव पहुंची*

वे इरादों की ऐसी अटल थीं कि लगातार 5 बार विधायक के रूप में रिकार्ड मतों से विजयी रहे मुकेश अग्निहोत्री की पांचों जीत में हर बार निर्णायक भूमिका निभाई। हर जीत के बाद वे नंगे पांव माता ज्वालामुखी, बगुलामुखी मंदिर शीश नवाने घर से पैदल पहुंचतीं। 

*असाधारण व्यक्तित्व की धनी मेरी मां – डॉ. आस्था*

*हर भूमिका सफलतापूर्वक निभाती रहीं मंडी की बेटी*

प्रो.सिम्मी एवं मुकेश अग्निहोत्री की इकलौती बेटी, हेग अकादमी ऑफ इंटरनेशनल लॉ से उच्चतर शिक्षा प्राप्त कर रहीं, डॉ. आस्था अग्निहोत्री ने प्रार्थना सभा में उपस्थित रहे सभी लोगों का आभार जताया। 

उन्होंने कहा कि उनकी मां प्रो. सिम्मी असाधारण व्यक्तित्व की धनी थीं। बहुप्रतिभाशाली, नेकदिल और दूसरों के प्रति समर्पित थीं। उनकी मां के जाने के बाद पूरे प्रदेश में जिस प्रकार की दुख की अभिव्यक्ति देखने को मिली वह उनकी महान शख्सियत को जाहिर करता है।

 उन्होंने कहा कि मंडी की बेटी प्रो. सिम्मी ने अपनी प्रतिभा, जिंदादिली से दूसरों की निस्वार्थ सेवा और समर्पण से हरोली का दिल जीत लिया था। मंडी की बेटी प्रो. सिम्मी एक सफल बहु और मां के रूप में सफल भूमिका निभाती रहीं। 

डॉ  आस्था ने कहा कि उनके पिता श्री मुकेश अग्निहोत्री के पांच बार चुनाव जीतने में प्रो. सिम्मी का त्याग और समर्पण शामिल था। 

उनके फौलादी इरादे इस बात से जाहिर होते कि हर बार चुनाव जीतने के बाद वे माता चिंतपूर्णी और कुलदेवी ज्वालाजी के मंदिर में नंगे पांव पहुंचती और वहां नतमस्तक होतीं। 

*हमेशा सुनाती थीं मंडी के किस्से* 

डॉ. आस्था ने बताया कि उनकी मां हमेशा मंडी के किस्से सुनाती थीं । मंडी का उनके जीवन में बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान था। यहां के लोग उनके दिल के बहुत करीब थे। वे अपने रिश्तेदारों, सहपाठियों, सहेलियों के साथ की शरारतों के किस्से सुनाती थीं। मंडी से ही उनमें शिक्षा और ज्ञान की लौ जली । प्रो. सिम्मी का जाना उनके जीवन के लिए ही नहीं बल्कि अनगिनत जीवन के लिए अपूर्णीय क्षति है। 

*ये रहे उपस्थित*

पूर्व मंत्री कौल सिंह ठाकुर, पूर्व मंत्री एवं विधायक अनिल शर्मा,  रंगीला राम राव, प्रकाश चौधरी, सीपीएस आशीष बुटैल, सुंदर सिंह ठाकुर, विधायक चंद्रशेखर, एचआरटीसी निदेशक मंडल के सदस्य धमेंद्र धामी और विकास कपूर, नगर निगम महापौर विरेंद्र भट्ट, चंपा ठाकुर, नरेश चौहान, कांग्रेस उपाध्यक्ष श्री महेश्वर सिंह चौहान, महासचिव शशी शर्मा, प्रदेश सचिव जगदीश सचिव, राकेश चौहान, जिला कार्यकारी अध्यक्ष हरेंद्र सेन, कांग्रेस की जिला कार्यकारिणी के पदाधिकारी, परिजनों, परिचितों और मंडी जिले के कोने कोने से आए लोगों ने प्रो. सिम्मी अग्निहोत्री को श्रद्धासुमन अर्पित किए।

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