ऊना : जिला आयुष अधिकारी ऊना डॉ ज्योति कंवर ने जानकारी देते हुए बताया कि जिला आयुर्वेदिक चिकित्सालय ऊना में समस्त सुविधा से सुसज्जित पंचकर्म की पद्धति से सैकड़ों मरीजों का इलाज किया जा रहा है तथा रोगी अपने स्वास्थ्य का लाभ उठा रहें है । उन्होंने बताया कि जिला आयुर्वेदिक चिकित्सालय ऊना में पंचकर्म, क्षारसूत्र, कपिंग और मर्म थेरेपी, होम्योपैथी आदि से सैकड़ों मरीजों का सफल ईलाज किया जा रहा है । उन्होंने बताया कि पंचकर्म में शिरोधारा, स्नेहन, स्वेदन, अक्षितर्पण आदि प्रक्रिया (Procedure) से रोगियों का इलाज किया रहा है ।
समय-समय पर बहुउदेशीय निःशुल्क कैम्प
डा० ज्योति कंवर ने बताया कि पंचकर्म को रोगी व्यक्ति के साथ-साथ स्वस्थ व्यक्ति भी अपना सकता है। उन्होंने बताया कि आयुष विभाग द्वारा समय-समय पर बहुउदेशीय निःशुल्क कैम्प ऊना के दूर-दराज के क्षेत्र में लगाये जा रहे है तथा हड्डियों की जांच (BMD) कैम्प व योग कैम्प समय-समय पर आयोजित किये जा रहें है ।
जिला आयुष अधिकारी, डा० ज्योति कंवर के बताया कि डा० विनय जसवाल, डा० अमनदीप सोंखला रोगियों का पंचकर्मा पद्धति से ईलाज कर रहें है तथा क्षारसूत्र पद्धति से भंगदर, बवासीर का सफल ईलाज डा० विनय जसवाल कर रहे है । उन्होंने बताया कि ऊना में अप्रैल, 2023 से फरवरी, 2024 तक कुल 24 निःशुल्क चिकित्सा कैम्प लगाये गए है जिसमें 10584 लाभार्थियों ने अपना स्वास्थ्य लाभ उठाया है । क्षारसूत्र पद्धति से अप्रैल, 2023 से अब तक 80 मरीजों का सफल इलाज किया जा चुका हैं। पंचकर्म पद्धति से विभिन्न प्रकार के कुल 502 (Procedure) प्रक्रियाओं जिसके अंतर्गत रक्तमोक्षन, मर्म चिकित्सा, जलोका, अग्निकर्म तथा Cupping के द्वारा रोगियों को स्वास्थ्य लाभ दिया गया ।
पंचकर्म https://rb.gy/alw2b1
जिला आयुष अधिकारी ऊना डा० ज्योति कंवर ने कहा है कि आयुष विभाग को उन्नति के शिखर पर ले जाने के लिये हर संभव प्रयास किये जा रहे है। जिला ऊना में दो पंचकर्म रिर्जोट खोलने का प्रस्ताव चल रहा है । जल्दी ही ऊना में दो पंचकर्म रिर्जोट खोले जाने की सम्भावना है ।
पंचकर्मा केंद्रों को सुदृढ़ बनाने के लिए बहुआयामी प्रयास आवश्यक – हर्षवर्धन चौहान https://rb.gy/jizlfl
क्या है पंचकर्म
पंचकर्म (अर्थात पाँच कर्म) आयुर्वेद की उत्कृष्ट चिकित्सा विधि है। पंचकर्म को आयुर्वेद की विशिष्ट चिकित्सा पद्धति कहते है। इस विधि से शरीर में होंनें वाले रोगों और रोग के कारणों को दूर करनें के लिये और तीनों दोषों (अर्थात त्रिदोष) वात, पित्त, कफ के असम रूप को समरूप में पुनः स्थापित करनें के लिये विभिन्न प्रकार की प्रक्रियायें प्रयोग मे लाई जाती हैं। लेकिन इन कई प्रक्रियायों में पांच कर्म मुख्य हैं, इसीलिये ‘’पंचकर्म’’ कहते हैं।
आयुर्वेद पंचकर्म चिकित्सा पद्धति भारत की प्राचीनतम चिकित्सा पद्धतियों में से एक है। देश के दक्षिणी भाग में यह बहुत लोकप्रिय है और सामान्यतौर पर लोक जीवन में स्वीकार्य है। उत्तर भारत में यह पद्धति हाल ही में उपयोग में लाई जा रही है। इस पद्धति में शरीर के विषों को बाहर निकालकर शुद्ध किया जाता है। इसी से रोग निवारण भी हो जाता है। पंचकर्म, आयुर्वेद शास्त्र में वर्णित एक विशेष चिकित्सा पद्धति है, जो दोषों को शरीर से बाहर निकाल कर रोगों को जड़ से समाप्त करती है।
ये पांच कर्मों की प्रक्रियायें इस प्रकार हैं- वमन, विरेचन, बस्ति – अनुवासन, बस्ति – आस्थापन, नस्य